बच्चों को दी गई कोविड प्रोटोकॉल की जानकारी
गांधी नगर स्थित महात्मा गांधी स्कूल में प्रवेश द्वार से अंदर जाते ही निर्धारित दूरी पर गोले बनाए गए थे, जहां स्टूडेंट्स को खड़ा करने के बाद उन्हें प्रिंसिपल कुमुद शर्मा ने कोविड प्रोटोकॉल की जानकारी दी, अभिभावकों के स्वीकृति पत्र की जांच करने के बाद उनकी थर्मल स्क्रीनिंग और हाथ सेनेटाइज करने के बाद उन्हें कक्षा कक्ष में प्रवेश दिया गया।
अभिभावकों में डर लेकिन उत्साह भी कम नहीं
छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों के स्कूल 156 दिन बाद खुले थे ऐसे में बच्चों में उत्साह नजर आया लेकिन अभिभावकों में कहीं ना कही थोड़ा भय देखने को मिला। अभिभावक खुद उन्हें स्कूल छोडऩे आए और व्यवस्थाओं को देखा। गांधी नगर स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में अपने तीन बच्चों को छोडऩे आए श्रवण महावर ने कहा कि थोड़ा डर तो है लेकिन घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाइ में समस्या बहुत थी, स्कूल में कम से कम पढ़ाई तो होगी। उनका कहना था कि स्कूल प्रशासन ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अच्छी व्यवस्थाएं की है। यहां स्कूल में ना केवल शिक्षक बल्कि बीएड की इंटर्नशिप कर रहे स्टूडेंट्स को भी ड्यूटी दी गई थी, जो स्कूल आने वाले हर विद्याथी की थर्मल स्क्रीनिंग और हाथों को सेनेटाइज करने के बाद उन्हें प्रवेश दे रहे थे।
छठीं कक्षा की करनी पड़ी छुट्टी
राजधानी के कई सरकारी स्कूलों में बीएसटीसी के प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। साथ ही 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थी भी स्कूल आ रहे हैं। ऐसे में इन स्कूलों के समक्ष सबसे बड़ी परेशानी यही थी कि वह छठीं से 8वीं तक के बच्चों को स्कूल कैसे बुलवाए क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग के मुताबिक बैठने की व्यवस्था चुनौती बन गया था। ऐसे में इन स्कूलों में छठी कक्षा के बच्चों को आज स्कूल नहीं आने के लिए कहा गया। गोपालपुरा बाईपास स्थित शहीद अमित कुमार यादव उच्च माध्यमिक विद्यालय को बीएसटीसी के प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षा केंद्र बनाया गया है। ऐसे में स्कूल प्रशासन को छठीं कक्षा की छुट्टी करनी पड़ी
सोशल डिस्टेंसिंग पर फोकस
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के साथ निजी स्कूलों में छठीं से आठवीं तक के बच्चे के लिए स्कूल खुल गए। इन स्कूलों में भी कोविड प्रोटोकॉल की पालना पर विशेष फोकस किया गया। रामबाग सर्किल स्थित सुबोध स्कूल में क्लासरूम में सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए स्टूडेंट्स को बिठाया गया था। साथ हर हर बच्चे की थर्मल स्क्रीनिंग और हाथों को सेनेटाइज करने के बाद उन्हें एंट्री दी गई।
गांधी नगर स्थित महात्मा गांधी स्कूल में प्रवेश द्वार से अंदर जाते ही निर्धारित दूरी पर गोले बनाए गए थे, जहां स्टूडेंट्स को खड़ा करने के बाद उन्हें प्रिंसिपल कुमुद शर्मा ने कोविड प्रोटोकॉल की जानकारी दी, अभिभावकों के स्वीकृति पत्र की जांच करने के बाद उनकी थर्मल स्क्रीनिंग और हाथ सेनेटाइज करने के बाद उन्हें कक्षा कक्ष में प्रवेश दिया गया।
अभिभावकों में डर लेकिन उत्साह भी कम नहीं
छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों के स्कूल 156 दिन बाद खुले थे ऐसे में बच्चों में उत्साह नजर आया लेकिन अभिभावकों में कहीं ना कही थोड़ा भय देखने को मिला। अभिभावक खुद उन्हें स्कूल छोडऩे आए और व्यवस्थाओं को देखा। गांधी नगर स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में अपने तीन बच्चों को छोडऩे आए श्रवण महावर ने कहा कि थोड़ा डर तो है लेकिन घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाइ में समस्या बहुत थी, स्कूल में कम से कम पढ़ाई तो होगी। उनका कहना था कि स्कूल प्रशासन ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अच्छी व्यवस्थाएं की है। यहां स्कूल में ना केवल शिक्षक बल्कि बीएड की इंटर्नशिप कर रहे स्टूडेंट्स को भी ड्यूटी दी गई थी, जो स्कूल आने वाले हर विद्याथी की थर्मल स्क्रीनिंग और हाथों को सेनेटाइज करने के बाद उन्हें प्रवेश दे रहे थे।
छठीं कक्षा की करनी पड़ी छुट्टी
राजधानी के कई सरकारी स्कूलों में बीएसटीसी के प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। साथ ही 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थी भी स्कूल आ रहे हैं। ऐसे में इन स्कूलों के समक्ष सबसे बड़ी परेशानी यही थी कि वह छठीं से 8वीं तक के बच्चों को स्कूल कैसे बुलवाए क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग के मुताबिक बैठने की व्यवस्था चुनौती बन गया था। ऐसे में इन स्कूलों में छठी कक्षा के बच्चों को आज स्कूल नहीं आने के लिए कहा गया। गोपालपुरा बाईपास स्थित शहीद अमित कुमार यादव उच्च माध्यमिक विद्यालय को बीएसटीसी के प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षा केंद्र बनाया गया है। ऐसे में स्कूल प्रशासन को छठीं कक्षा की छुट्टी करनी पड़ी
सोशल डिस्टेंसिंग पर फोकस
प्रदेश के सरकारी स्कूलों के साथ निजी स्कूलों में छठीं से आठवीं तक के बच्चे के लिए स्कूल खुल गए। इन स्कूलों में भी कोविड प्रोटोकॉल की पालना पर विशेष फोकस किया गया। रामबाग सर्किल स्थित सुबोध स्कूल में क्लासरूम में सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए स्टूडेंट्स को बिठाया गया था। साथ हर हर बच्चे की थर्मल स्क्रीनिंग और हाथों को सेनेटाइज करने के बाद उन्हें एंट्री दी गई।