जयपुर 26 अप्रेल …
निमोनिया और डायरिया के खिलाफ व्यापक टीकाकरण से हर छह मिनट में एक बच्चे की जान बचाई जा सकती है। देश का लक्ष्य 2030 तक नवजात बच्चों की मृत्यु दर को प्रति 1000 जन्म पर 12 के स्तर पर और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1000 जन्म पर 25 के स्तर पर रोकना है। ताकि भारत स्थाई विकास लक्ष्य ;एसडीजीद्ध को हासिल कर सके। इसकी जागरूकता के लिए 24 से 30 अप्रेल तक विश्व इम्युनाइजेशन सप्ताह मनाया जाएगा।
इस अवसर पर इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के अध्यक्ष डॉण् बीण्एमण् रातुड़ी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारे पास बच्चों की मृत्यु पर रोक लगाने का सबसे शक्तिशाली उपकरण टीकाकरण के तौर पर मौजूद है। स्थाई और गहन टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से हमने स्मॉल पॉक्स और पोलियो जैसी घातक बीमारियों से दुनिया को सफलता पूर्वक मुक्ति दिलाई है। निमोनिया और डायरिया देश की घातक संक्रामक बीमारियां हैंए जो पांच वर्ष से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों की मौत का कारण हैं।
आईएपी विशेषज्ञों ने इंटरनेशनल वैक्सीन एक्सेस सेंटर ;आईवीएसीद्ध 2017 निमोनिया एंड डायरिया प्रोग्रेस रिपोर्ट के आंकड़ों का उल्लेख कियाए जिससे पता चलता है कि भारत निमोनिया और डायरिया के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रम के विस्तार से 90 हजार बच्चों की मृत्यु और आर्थिक लाभ के रूप में प्रत्येक वर्ष एक अरब डॉलर से अधिक की बचत कर सकेगा।
अब अगला लक्ष्य दिसंबर, 2018 तक तेजी से इम्युनाइजेशन कवरेज को 90 फीसदी से आगे ले जाना है। बढ़ते इम्युनाइजेशन के बारे में डॉ. रातुड़ी ने कहा कि यूआईपी में नए टीकों की पेशकश के लिए सरकार के प्रयास प्रमुख संक्रमणों से बचाने में मदद करेंगे जिनके कारण बच्चों की मृत्यु होती है। मेरा मानना है कि भारत को ब्रॉड कवरेज नियोमोकोकल कॉन्ज्युगेट वैक्सीन (पीसीवी) 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु को घटाने के संयुक्त राष्ट्र के स्थाई विकास लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करने में मदद करेंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इम्युनाइजेशन से हर वर्ष 20 से 30 लाख मौतों से बचा जा सकता है और इससे कई घातक बीमारियों को नियंत्रित करने और लाखों जीवन बचाने में मदद मिली है। आईएपी के विशेषज्ञ देश में बच्चों की मृत्यु दर में कमी लाने में इम्युनाइजेशन की भूमिका के बारे में जागरूकता का प्रसार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।