एक टीनेजर से ज्यादा साफ होता है चिंपाजी का बिस्तर
हर रोज बनाता है अपने लिए नया बिस्तर, शरीर पर नहीं होते जूं जैसे परजीवी

आपने प्लेनेट ऑफ एप्स अगर देखी है तो उसमें चार्लटन हेस्टन का एक डायलॉग है, ‘अपना बदबूदार पंजा मुझसे दूर रखो, गंदे बंदर(एप)।’ हममें से शायद सभी चिंपाजी, गोरिल्ला जैसी वानर प्रजाति के लिए यही सोचते हैं कि ये बहुत गंदे होते हैं, इनके पंजे और बाल में बैक्टीरिया भरे पड़े हैं लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक चिंपाजी का बिस्तर एक टीनेजर के बिस्तर से कहीं ज्यादा साफ होता है। दरसअल वैज्ञानिकों ने तंजानिया में चिंपाजी के 41 घोंसलों(घरों) से उनका स्वाब एकत्रित कर उनका अध्ययन किया तो उन्होंने पाया कि चिंपाजी बहुत ही साफ-सुथरे जानवर होते हैं, इतने साफ कि मनुष्य इनके आगे कहीं ज्यादा गंदा है। चिंपाजी के घोंसलों में इंसानों की तुलना में कहीं कम बैक्टीरिया होते हैं। नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी के पीएडी के छात्र मेघन थॉमस के मुताबिक, हमें चिंपाजी के घोंसलों से न के बराबर बैक्टीरिया मिले, हमारे लिए यह बहुत ही हैरानी भरी बात थी। सबसे बड़ी बात तो हमें यह पता चली कि चिंपाजी हर रोज अपना बिस्तर बनाते हैं। वे हर रोज रात को ताजा पत्तियों और टहनियों से अपना घोंसला बनाते हैं, जो कि पेड़ों पर काफी ऊंचे होते हैं। उनके शरीर में भी इंसानों की तुलना में बहुत कम बैक्टीरिया होते हैं। एक आम इंसान के बिस्तर में मौजूद 35 फीसदी बैक्टीरिया उसके शरीर से वहां तक यानी बिस्तर तक आते हैं। चिंपाजी इतने साफ होते हैं कि जब उनके मुंह, स्किन और शरीर में कहीं पर बैक्टीरिया बहुत ही कम होते हैं। रिसर्च टीम ने जब चिंपाजी के घोंसलों से पैरासिटिक ऑर्थोपॉड्स जैसे जूं आदि वैक्यूम करने की कोशिश की तो ये भी न के बराबर ही मिले। थॉमस के मुताबिक, इंसान अपने लिए एक साफ पर्यावरण बनाने की कोशिश करता है और यही चीज उसके आस-पास की चीजों को गंदा करती है, जबकि रिसर्च टीम को इस बात की पूरी उम्मीद थी कि उनका वैक्यूम क्लीनर इन खून चूसने वाले परजीवियों से भर जाएगा। थॉमस के अनुसार, हमें सारे घोंसलों से केवल चार एक्टोपैरासाइट्स मिले और ये भी एक ही प्रजाति के थे, न कि अलग-अलग। यह रिसर्च जरनल रॉयल सोसायटी ओपन साइंस में प्रकाशित हुई है।
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