* ०२-०५ मिनट बालों की जड़ों पर अंगुलियों के पोरों से तेल मालिश उपयोगी है।
* ०२-०५ मिनट की बालों की नियमित मालिश करनी चाहिए, इससे मजबूत और घने रहते हैं।
प्रकृति है आधार
पित्त : गरम खानपान लेने के अलावा मांसाहारी, मसालेदार, चटपटा, खट्टा, नमक, चाय आदि लेने वालों को एसिडिटी ज्यादा होती है। उनकी प्रकृति पित्त होती है। इनमें बालों का घनत्व कम हो जाता है। इससे इनके टूटने, सफेद होने वजल्दी गंजे होने की आशंका अपेक्षाकृत ज्यादा होती है।
उपयोगी तेल : भृंगराज और नारियल तेल को लगाने से ज्यादा फायदा मिलता है।
कफ : ऐसे व्यक्ति ज्यादा सक्रिय नहीं रहते हैं। जिन्हें पसीना अधिक आता है। चिकनाई व मीठा खाने के शौकीन हैं वे कफ प्रकृति के होते हैं।
उपयोगी तेल : ग्वारपाठा युक्त तेल, सरसों और काली मिर्च व लहसुन के अर्क से बना तेल कारगर है।
उपयोगी तेल : तिल का तेल सर्वोत्तम है। बला, अश्वगंधा, शतावरी, नारियल तेल बालों की जड़ों पर लगाएं
मालिश का हो सही तरीका : जरूरी नहीं कि सिर की मालिश आधे से एक घंटा हो। नियमित रूप से इनकी जड़ों की मालिश होना जरूरी है। अंगुुलियों के पोरों से जड़ों पर दबाव बनाएं व तेल मलें। सिर पर एक ही जगह कम से कम २-५ मिनट मालिश कर सकते हैं।
इसलिए टूटने लगते हैं बाल :
जिन लोगों की त्वचा व बाल ऑयली हैं, वे यदि बालों में तेल अपेक्षाकृत कम भी लगाएं तो भी कोई विशेष दिक्कत नहीं होती है, जिनके रूखे बाल होते हैं वे नियमित रूप से तेल की मालिश करें। लापरवाही करने पर बाल कमजोर होकर टूटने लगते हैं।
डॉ. प्रेम प्रकाश व्यास
आयुर्वेद विशेषज्ञ, डॉ. एसआरआर आयुर्वेद यूनिवर्सिटी, जोधपुर