scriptकोड मशीनों से सीआइए व जर्मन एजेंसियों ने की थी भारत की जासूसी | CIA snooped on India for years along with Germanys BND: Report | Patrika News

कोड मशीनों से सीआइए व जर्मन एजेंसियों ने की थी भारत की जासूसी

locationजयपुरPublished: Feb 13, 2020 12:28:42 am

Submitted by:

anoop singh

सनसनीखेज खुलासा: दशकों तक सूचनाओं को मित्र देशों से किया साझा, 2018 में मशीन बनाने वाली कंपनी को बेचा
 

कोड मशीनों से सीआइए व जर्मन एजेंसियों ने की थी भारत की जासूसी

कोड मशीनों से सीआइए व जर्मन एजेंसियों ने की थी भारत की जासूसी

नई दिल्ली.
अंतरराष्ट्रीय जासूसी का एक और स्याह चेहरा सामने आया है। अमरीकी खुफिया एजेंसी सीआइए और जर्मनी की बीएनडी ने कई दशकों तक भारत समेत लगभग 120 देशों को संदेश डीकोड करने वाली मशीनें बेच कर गुप्त संदेशों में ही सेंध लगाई थी। एक अमरीकी अखबार में ये सनसनीखेज खुलासा हुआ कि अमरीका और जर्मनी ने दशकों तक इन देशों की खुफिया सूचनाओं का मित्र देशों के बीच आदान-प्रदान भी किया था। बरसों तक चले जासूसी के इस खेल के बाद 2018 में अमरीका और जर्मनी ने मशीन बनाने वाली कंपनी को बेच भी दिया। दावा किया गया है कि जिन देशों को ये मशीनें बेचीं गईं थीं उन्होंने जासूसी के इस खेल की कानों कान खबर भी नहीं लगी। अब स्विटजरलैंड की सरकार ने इस जासूसी कांड की जांच के आदेश दिए हैं।
रुबिकॉन: सदी की सबसे बड़ी जासूसी
डीकोडिंग मशीनों के जरिए इस सेंधमारी को सदी की सबसे बड़ी जासूसी करार दिया जा रहा है। 1970 के दशक से 2018 तक चले इस ऑपरेशन को पहले थीसॉरस फिर रुबिकॉन नाम दिया गया था। अमरीका और जर्मनी को इन खुफिया सूचनाओं के बेचान से मोटा मुनाफा भी हुआ।
डबल क्रॉस का शातिराना खेल
कंपनी डीकोडिंग मशीनों सैकड़ों देशों को बेचती रही। इनमें भारत और पाकिस्तान भी शामिल हैं। कंपनी एक ओर जहां मशीनों के बेचान से मुनाफा कमाती रही वहीं डबल क्रॉस के शातिराना खेल से इस मशीनों के जरिए डीकोड होने वाले मैसेज खुद भी इलेट्रॉनिक सेंधमारी से प्राप्त करती रहती थी।
अमरीका लगा चुका है भारतीय दूतावास में सेंध
अमरीकी व्हिसलब्लोअर एडवर्ड स्नोडन ने वर्ष 2013 में खुलासा कि था कि अमरीकी सिक्युरिटी एजेंसी ने वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास के कंप्यूटरों में भी सेंध लगाई थी। साथ ही अमरीका ने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय स्थायी मिशन में भी इलेक्ट्रानिक जासूसी की थी। कई सूचनाओं का खुलासा हुआ था।
रूसी व्यक्ति ने बनाई थी कंपनी
बोरिस हेगेलिन नामक एक रूसी देश छोड़ कर पहले स्वीडन फिर अमरीका में जा बसा था। उसने स्विटजरलैंड में क्रिप्टो एजी नामक कंपनी बनाई। संदेश डीकोड करने वाली मशीन बनाने वाली इस कंपनी को सीआइए और बीएनडी ने 1970 के दशक में इस कंपनी पर अधिकार कर लिया।
इन देशों को देते थे सूचनाएं
ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड

अमरीका को डीकोडिंग से फायदा
– कुख्यात ईरानी बंधक प्रकरण (1979)
– लीबिया के बर्लिन डिस्को में बम विस्फोट (1986)
– ब्रिटेन का फॉकलैंड युद्ध (1982)

ट्रेंडिंग वीडियो