जयपुर

होलोग्राफिक सर्कस जहां पशुओं को नहीं पहुंचती चोट

होलोग्राफिक सर्कस जहां पशुओं को नहीं पहुंचती चोट
-पशुओं के साथ सर्कस के रिंग में होने वाली कू्ररता को रोकने और पशु प्रेमियों के विरोध से बचने के लिए अब सर्कस तकनीक का सहारा ले रहे हैं।
-एनिमल्स डिफेंडर्स इंटरनेशनल के अध्यक्ष जैन क्रीमर का कहना है कि यही सर्कस का भविष्य है। जहां निर्दोष जानवरों का मनोरंजन के लिए उपयोग नहीं होता।

जयपुरJul 20, 2019 / 07:55 pm

Mohmad Imran

पशुओं के साथ सर्कस के रिंग में होने वाली कू्ररता को रोकने और पशु प्रेमियों के विरोध से बचने के लिए अब सर्कस तकनीक का सहारा ले रहे हैं।

बीते कुछ दशकों में पशु क्रूरता का विरोध करने वाले संगठनों के बढ़ते विरोध ने बढ़ती संख्या ने सर्कस के शो में पशुओं के उपयोग को रोकने के लिए काफी प्रयास किया है। लेकिन जंगली जानवरों का रोमांच न होने से अब सर्कस से दर्शकों का मोह भंग हो गया है। लेकिन तकनीक ने पशु क्रूरता रोकने और सर्कस की खाली कुर्सियों को भरने में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
 

तकनीक बनी मददगार
सर्कस रिंग में होने वाली कू्ररता को रोकने और पशु प्रेमियों के विरोध से बचने के लिए अब सर्कस तकनीक का सहारा ले रहे हैं। 43 साल पुराना सर्कस रॉनकैली भी इनमें से एक है। रॉनकैली ने 1990 के दशक से ही असली जानवरों का उपयोग बंद कर दिया था। हाल ही उन्होंने घोड़ों का इस्तेमाल भी बंद कर दिया है।
 

प्रोजेक्टर से करते हैं शो
अब सर्कस होलोग्राफिक तकनीक की मदद से बने जानवरों के साथ शो करता है। शामियाने के बीचों-बीच 11 लेजर प्रोजेक्टर और कम्प्यूटर जेनेरेटेड इमेज (सीजीआइ) की मदद से जानवरों की हॉलोग्राफिक छवि बनाई जाती है। जिन्हें देखकर असली सर्कस देखने जैसा आभास होता है। रॉनकैली ने ब्लूबॉक्स और ऑप्टोमा नाम की प्रोजेक्शन और ऑडियो उत्पाद बनाने वाली कंपनी के साथ भागीदारी की है। रॉनकैली ऐसा करने वाला दुनिया का पहला हॉलोग्राफिक सर्कस है।
 

एनिमल्स डिफेंडर्स इंटरनेशनल के अध्यक्ष जेन क्रीमर का कहना है कि यही सर्कस का भविष्य है। न केवल मनोरंजन बल्कि जानवरों की सुरक्षा के लिए भी प्रौद्योगिकी के उपयोग का यह पहला प्रयास है। इसे बाकी सर्कस मालिकों को भी अपनाना चाहिए।
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