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मतदान के आधार पर संसद में पेश हुआ नागरिकता संशोधन बिल

locationजयपुरPublished: Dec 09, 2019 05:19:31 pm

Submitted by:

Prakash Kumawat

लोकसभा में सोमवार को विपक्ष के जबरदस्त विरोध के चलते नागरिकता संशोधन बिल Citizenship Amendment Billसीधे पेश नहीं हो पाया। तीखी बहस के बीच मतदान के जरिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह बिल पेश किया। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को जवाब देते हुए कहा कि यह बिल न तो संविधान के खिलाफ है और न ही ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।

Citizenship amendment bill introduced in Parliament on the basis of voting

मतदान के आधार पर संसद में पेश हुआ नागरिकता संशोधन बिल

जयपुर
लोकसभा में सोमवार को विपक्ष के जबरदस्त विरोध के चलते नागरिकता संशोधन बिल Citizenship Amendment Bill सीधे पेश नहीं हो पाया। तीखी बहस के बीच मतदान के जरिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह बिल पेश किया। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को जवाब देते हुए कहा कि यह बिल न तो संविधान के खिलाफ है और न ही ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।
कांग्रेस, टीएमसी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने नागरिकता संशोधन बिल Citizenship Amendment Bill को संविधान के खिलाफ बताते हुए विरोध किया जिसके चलते बिल को पेश करने के लिए लोकसभा में मतदान कराना पड़ा, इस बिल को पेश करने के पक्ष में 293 और विरोध में 82 वोट पड़े। सोमवार को सदन में कुल मतदान 375 हुआ था।
शिवसेना ने बिल पर दिया सरकार का साथ
शिवसेना ने दिया सरकार का साथ
महाराष्ट्र चुनाव के बाद एनडीए से अलग होने वाली शिवसेना ने इस बिल पर मोदी सरकार का साथ दिया है। शिवसेना पहले ही घुसपैठियों को बाहर निकालने के पक्ष में है, इस कारण बिल पेश करने के लिए मतदान हुआ तो शिवसेना सरकार के साथ रही।
कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा क्योंकि धर्म के आधार पर कांग्रेस ने देश का विभाजन किया। इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती, अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा हैं। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ये बिल संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है जो देश में समानता का अधिकार को तोड़ता है।
तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने भी कहा कि इस बिल के पेश होने से संविधान संकट में है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल को संविधान के खिलाफ बताया।
बिल में क्या है…

नए बिल के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख शरणार्थियों को नागरिकता मिलने में आसानी होगी। इसके अलावा अब भारत की नागरिकता पाने के लिए 11 साल नहीं बल्कि 6 साल तक देश में रहना अनिवार्य होगा।

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