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7 दिन में गड्ढे व आवारा पशु नहीं हटे, तो अधिकारी जेल भेजने पड़ेंगे

locationजयपुरPublished: Aug 31, 2018 08:48:54 pm

Submitted by:

Shailendra Agarwal

हाईकोर्ट ने सड़कों पर गड्ढों और आवारा पशुओं को लेकर अदालती आदेश की पालना नहीं होने पर तल्खी दिखाते हुए मौखिक रूप से चेतावनी दी कि 7 दिन में हालात नहीं सुधरे तो अधिकारियों को जेल भेजा जाएगा। कोर्ट ने सड़कों पर गड्ढे व आवारा पशु रोकने को कार्रवाई कर 7 दिन में शपथ पत्र पेश करने को कहा है। साथ ही, सुनवाई 14 सितम्बर तक टालते हुए नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, जयपुर विकास प्राधिकरण आयुक्त व जयपुर नगर निगम आयुक्त को पुन: बुलाया है।

Stray animals

Stray animals

हाईकोर्ट ने सड़कों पर गड्ढों और आवारा पशुओं को लेकर अदालती आदेश की पालना नहीं होने पर तल्खी दिखाते हुए मौखिक रूप से चेतावनी दी कि 7 दिन में हालात नहीं सुधरे तो अधिकारियों को जेल भेजा जाएगा। कोर्ट ने सड़कों पर गड्ढे व आवारा पशु रोकने को कार्रवाई कर 7 दिन में शपथ पत्र पेश करने को कहा है। साथ ही, सुनवाई 14 सितम्बर तक टालते हुए नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, जयपुर विकास प्राधिकरण आयुक्त व जयपुर नगर निगम आयुक्त को पुन: बुलाया है।
न्यायाधीश मनीष भंडारी ने आवारा पशु की टक्कर से विदेशी नागरिक के मौत के बाद स्वप्रेरणा से दर्ज याचिका पर शुक्रवार को यह आदेश दिया। सुनवाई के दौरान नगरीय विकास विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के गोयल, जयपुर विकास प्राधिकरण आयुक्त वैभव गालरिया व जयपुर नगर निगम आयुक्त मोहन लाल यादव हाजिर हुए। इसी दौरान निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के बजाय अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी के बोलने पर नाराजगी जाहिर करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की कि ज्यादा होशियार बन रहे हो, यहां पंचायत नहीं चल रही है। बोल रहे है चोपड़ पर कार्रवाई कर दी है, चांदपोल पर कार्रवाई कर दी। अधिकारियों से कहा, कहीं निकलते हो या नहीं और निकलते हो तो उनको सड़कों पर पशु नहीं दिखते क्या? कोर्ट ने अधिकारियों को अवमानना कार्रवाई की चेतावनी देते हुए मौखिक रूप से कहा कि कुछ नहीं हो रहा है सब कागजी कार्रवाई हो रही है।
अवमानना पर क्या जवाब है?
कोर्ट ने सुनवाई शुरु होते ही मौखिक रूप से कहा, अदालती आदेश की अवमानना पर क्या जवाब है, क्या आदेश की पालना हो गई है?
अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद— 10 सितम्बर तक मानसून सीजन खत्म हो जाएगा, फिर सड़कों की मरम्मत हो जाएगी।
कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा— तब तक क्या? क्या ऐसी तकनीक नहीं हो सकती, जो आए दिन सड़कों पर खर्चा नहीं करना पडे। क्या घटिया सामग्री का इस्तेमाल भी सड़क टूटने की वजह है। अधिकारी तकनीक सीखने विदेश जाते हैं। पिछली सुनवाई के समय सड़कों पर गड्ढे व आवारा पशुओं को नीति बताने और समस्या का समाधान करने को कहा था। अखबार में जयपुर की प्रमुख कॉलोनी मानसरोवर की स्थिति बताई गई है, क्यों कोई जिम्मेदार ठहराया नहीं जाता। कोई सड़कों की देखरेख नहीं कर रहा क्या? स्टेच्यू सर्किल पर पानी भर जाता है। कोई नीति नहीं है क्या? आवारा पशु घूम रहे हैं। कानून का पालन किया जाए, नहीं तो जिम्मेदारों को सलाखों के पीछे भेजना पडेगा। पहले अवमानना के मामले में सुनवाई की जाएगी।
अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद— नियमित कार्य किया जा रहा है, सड़कों की स्थिति भी सुधर रही है।
कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा— सुधार करने में कितने साल लगेंगे। देखा होगा, सड़कों पर कितने आवारा पशु हैं सड़कों की हालत कैसी है? कागजी प्रयास हो रहे हैं। आवारा पशु 20 हजार हैं या 25 हजार, इससे कोई मतलब नहीं, लोगों को सड़कों पर आवारा पशु नहीं दिखने चाहिए।
नगर निगम ने कहा— आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए टेंडर कर दिया है और काम भी शुरु हो गया है। अब काफी कम हो गए हैं। 175 पशुओं को छोड़ा, वह भी अदालती आदेश से छोड़ा गया। हां, सही है ज्यादा स्थिति में सुधार नहीं आया है।
अंत में चेतावनी— कोर्ट ने मौखिक रूप से अधिकारियों से कहा कि मुख्य मामले के स्थान पर पहले अवमानना पर सजा के लिए सुनवाई होगी। हालात खराब हो रहे हैं, सुधार नहीं आया तो कुछ अधिकारियों को जेल भेजना पड़ेगा।
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