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जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए हो रिसर्च

locationजयपुरPublished: Jan 03, 2020 06:51:20 pm

Submitted by:

Ashish

climate change : वर्तमान में जलवायु परिवर्तन ने किसानों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं।

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जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए हो रिसर्च

जयपुर

climate change : वर्तमान में जलवायु परिवर्तन ने किसानों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों के लिए चुनौतियां बढ़ा दी हैं। सर्दी के मौसम में किसान टिड्डी दलों के आतंक से परेशान हैं। जबकि सामान्य तौर पर गर्मियों में ही इनका असर देखने को मिलता था। इसी तरह से अन्य कई बार भी कृषि क्षेत्र में देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि जलवायु परिवर्तन के सामने आ रहे प्रभावों को देखकर कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान करें। दुर्गापुरा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से प्रायोजित 21 दिवसीय एडवांस फैकल्टी ट्रेनिंग कार्यक्रम शुक्रवार से शुरू हुआ। इस दौरान भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के पूर्व महानिदेशक डॉ. लक्ष्मण सिंह राठौड़ ने जलवायु परिवर्तन से पड़ रहे प्रभावोंं के बारे में अपनी बात कही। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक चुनौती बताया। राठौड़ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से कृषि और मौसम का तानाबाना बिगड़ रहा है। सर्दी के मौसम में टिड्डी फसलों पर हमला बोल रही है। साथ ही टिड्डी का प्रजनन भी हो रहा है। यह भी जलवायु परिवर्तन का ही प्रभाव है। ऐसे में वैज्ञानिको को विभिन्न क्षेत्रों में शोध करने की जरूरत है।
आपदाएं बनी चुनौती
कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के के कुलपति डॉ. जे.एस. संधू ने पाला सहित दूसरी प्राकृतिक आपदाओं को एग्रीकल्चर के क्षेत्र में चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को पाला प्रतिरोधी फसली किस्मों का विकास करने की जरूरत है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है कि प्रत्येक कृषि वैज्ञानिक को एक शोध परियोजना पर कार्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जल्द ही विश्वविद्यालय इक्रीसेट और इकार्डा जैसी अन्तर्राष्ट्रीय कृषि संस्थाओं से करार की संभावनाऐं तलाश करेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डा. ए.सी. माथुर ने बताया कि प्रशिक्षण में पंजाब, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा सहित आठ राज्यों के 18 प्रतिभागी कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। इस मौके पर राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार ने संस्थान में चल रहे कार्यक्रमों के बारे में बताया। विश्वविद्यालय के निदेशक मानव संसाधन डॉ. रविन्द्र पालीवाल, अधिष्ठाता एस.के.एन. कृषि महाविधालय, जोबनेर डॉ. जी.एस. बांगडवा भी उपस्थित रहे।
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