कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के के कुलपति डॉ. जे.एस. संधू ने पाला सहित दूसरी प्राकृतिक आपदाओं को एग्रीकल्चर के क्षेत्र में चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को पाला प्रतिरोधी फसली किस्मों का विकास करने की जरूरत है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है कि प्रत्येक कृषि वैज्ञानिक को एक शोध परियोजना पर कार्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जल्द ही विश्वविद्यालय इक्रीसेट और इकार्डा जैसी अन्तर्राष्ट्रीय कृषि संस्थाओं से करार की संभावनाऐं तलाश करेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डा. ए.सी. माथुर ने बताया कि प्रशिक्षण में पंजाब, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा सहित आठ राज्यों के 18 प्रतिभागी कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। इस मौके पर राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार ने संस्थान में चल रहे कार्यक्रमों के बारे में बताया। विश्वविद्यालय के निदेशक मानव संसाधन डॉ. रविन्द्र पालीवाल, अधिष्ठाता एस.के.एन. कृषि महाविधालय, जोबनेर डॉ. जी.एस. बांगडवा भी उपस्थित रहे।