जयपुर

पहाड़ों पर चढ़ाई, स्क्रीनिंग व्यवस्था गड़बड़ाई!

ये शॉर्ट कट पड़ न जाए भारी: अन्य राज्यों से पहुंच रहे लोग

जयपुरMar 27, 2020 / 05:47 pm

jagdish paraliya

These short cuts should not be heavy: people reaching from other states

गांगड़तलाई. बांसवाड़ा . वागड़ के अन्य राज्यों में मजदूरी कर रहे हजारों श्रमिकों के घर पहुंचने का क्रम शुरू हो गया हैं। परिवहन की पर्याप्त सुविधा मुहैया नहीं होने से कई परिवार पैदल ही पहुंच रहे हैं। इसी बीच गांव एवं घर तक पहुंचने के लिए कई लोग भीतरी शॉर्ट कट रास्तों पर भी चल पड़े हैं। एेसे में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों पर की जा रही स्क्रीनिंग व्यवस्था से कई श्रमिकों के दूर रहने की आशंका बन गई हैं।
राजस्थान पत्रिका ने गुरुवार को गुजरात से सटे क्षेत्र की टोह ली तो कई लोग समूह में खेतों एवं पहाड़ों के रास्तों से घर-गांव तक पहुंचते दिखे। गुजरात के फतेहपुरा से गड़ूली के बारां गांव सड़क तक पहुंच रहे लोगों से चर्चा की तो उन्होंने अपनी समस्या भी बताई। उनका कहना था कि पैदल सफर में थकान भी लग रही है। अब तो जितना जल्दी हो सके घर पहुंच जाएं।
कुछ बोले गुजरात में की थी जांच
श्रामिकों से बातचीत के दौरान कुछेक बोले गुजरात में की गई थी। वहीं कुछ जांच के नाम पर चुप्पी साध गए। हीरालाल कटारा ने बताया कि रात-दिन पैदल सफर से अब जवाब देने की स्थिति में भी हम नही हैं। अनिल मछार ने बताया कि संतरामपुर में जांच हुई थी। एेसा ही जवाब कुछ अन्य श्रमिक भी देकर आगे बढ़ गए।
हाई फोकस जोन बना रतनपुर
डूंगरपुर/बिछीवाड़ा. वागड़ अंचल से रोजगाररत के सिलसिले में अन्य राज्यों में निवासरत हजारों लोग घरों की ओर लौट रहे हैं। बुधवार रात से प्रशासन का पूरा फोकस रतनपुर चेकपोस्ट पर है। टीमों ने रातभर लोगों की स्क्रीनिंग की तथा प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराए गए वाहनों से उन्हें गंतव्य की ओर रवाना किया। हर वाहन को उपयोग के बाद सेनेटाइज करने की भी व्यवस्था की गई है। गुरुवार को अतिरिक्त जिला कलक्टर कृष्णपालसिंह चौहान सहित अन्य अधिकारी भी रतनपुर पहुंचे तथा स्क्रीनिंग आदि की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। चिकित्सा टीमों ने यात्रियों की जांच कर उनकी हथेलियों के पीछे होम क्वारंटाइन के लिए मुहर लगाई। दोपहर बाद सांसद कनकमल कटारा, खेरवाड़ा विधायक दयाराम परमार भी रतनपुर पहुंचे।
१०० मजदूर ५०० किमी. पैदल रवाना
कुचामनसिटी. नमक औद्योगिक क्षेत्र में कार्य करने वाले कई मजदूर परिवार बुधवार रात को पैदल ही मध्यप्रदेश के अपने गांव के लिए रवाना हो गए, इन परिवारों का कहना है कि अब यहां रोजगार नहीं है। ऐसे में यह परिवार पलायन को मजबूर है। हालांकि करीब ५०० किलोमीटर का लंबा सफर उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायी साबित हो सकता है। यह लोग ५ दिन पैदल चलकर जगह-जगह रुकेंगे और इसके बाद अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।
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