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हमारे पीएम ने वो सर्टिफिकेट दे दिया जो चाइना चाहता है – गहलोत

locationजयपुरPublished: Jun 28, 2020 07:21:28 pm

चाइना के साथ घटना व पड़ौसियों से संबंध खराब का विश्लेषण पीएमओ में हो, मोदी ने अपने जीवन में 18 बार चीन से मुलाकात की फिर ऐसी नौबत क्यों

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समीर शर्मा / जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि हमारे प्रधानमंत्री ने वो सर्टिफिकेट दे दिया, जो चीन चाहता है। नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों की बैठक में कहा कि हमारी जमीन पर कोई कब्जा नहीं हुआ है और न ही कोई आया है। चीन की सरकार ने इस वक्तव्य का स्वागत किया और वहां मोदी का बयान सुर्खियां बन गया। मोदी अपने बयानों में चीन का नाम तक नहीं लेते। बड़ी बात है कि हमारे 20 लोग शहीद हुए।
जनता को जवाब चाहिए कि घटना क्या हुई, उनके कितने सैनिक मारे गए, कितनी जमीन पर चाइना ने कब्जा किया हुआ है, कितनी पर निर्माण हुआ? देश को वास्तिविक स्थिति की जानकारी देना क्या पीएम की नैतिक जिम्मेदारी नहीं है। जब देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, ऐसे में क्या सोचकर चाइना ने हरकत की, सभी पड़ौसियों से हमारे संबंध खराब हो रहे हैं, ये सभी विश्लेषण पीएमओ में होने चाहिए।
मोदी सहित भाजपा अध्यक्षों के चीन से संबंध
गहलोत रविवार को पत्रकारवार्ता में कहा कि मोदी अपने जीवन में सीएम रहते और पीएम रहते 18 बार चीन से मुलाकात कर चुके हैं। फिर ऐसी नौबत क्यों आई। उन्होंने कहा कि मोदी सहित भाजपा के जो भी अध्यक्ष रहे हैं, उनके चीन से अच्छे संबंध में रहे हैं। पिछली बार अहमदाबाद में मोदी झूला झूल रहे थे, सीमा पर तब भी झड़पें चल रही थीं। नेपाल तक चाइना के प्रभाव में आ गया और जमीन तक दबाने में लगा हुआ है।
मोदी कहते हैं क्या किया
गहलोत ने कहा कि मोदी कहते हैं कि 70 साल में कांग्रेस ने क्या किया। लेकिन तीनों सेनाएं विश्व स्तर की हैं। आज आधुनिक हथियार हैं, एटमिक पावर हैं, मिलाइल हैं, बोफोर्स हैं। वर्ष 1962 में क्या था, फिर भी लोहा लिया। तब न तो तोपे थीं न बंदूके थीं। इसके चंद साल बाद फिर चीन ने प्रयास किया तो हमारे 40 शहीद हुए और हमने 400 मारे, चाइनीज भाग गए थे।
गृह मंत्री सरकार गिराने की उधेड़बुन में
मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी जब भी कुछ बात करते हैं, तो गृह मंत्री अमित शाह बयानबाजी करने लगते हैं। देश के गृह मंत्री तो इस उधेड़बुन में रहते हैं कि कब किस राज्य की सरकार को गिराऊं, कैसे गिराऊं। हालात गम्भीर है, विपक्षी पार्टियों को दोष नहीं देना चाहिए। क्या राजनीतिक पार्टियों का धर्म नहीं है कि वे जनता की भावना को सरकार के सामने रखे।
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