राठौड़ ने कहा कि सलाहकारों की नियुक्ति और आने वाले दिनों में संसदीय सचिवों की होने वाली नियुक्ति संविधान के प्रावधानों के प्रतिकूल है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने असंतोष को दबाने के लिए सलाहकारों की नियुक्ति की हैं, जबकि संविधान के प्रावधान के तहत किसी भी विधायक को लाभ का पद नहीं दिया जा सकता हैं। इस संबंध में मैंने राज्यपाल को पत्र लिखा था जिसमें संविधान के आर्टिकल्स के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्णय भी बताए थे। इस पर राज्यपाल से प्रसंज्ञान लेकर सरकार से पूछताछ की है, इसके लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं।
राठौड़ ने कहा कि हिन्दुस्तान में कानून और संविधान का राज है। हम इसका विरोध करेंगे और अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। यही नहीं हम जनता के बीच जाकर बताएंगे कि किस तरह सरकार ने असंतोष को दबाने के लिए विधायकों को प्रलोभन दिया है। जो पूर्णतया अवैधानिक और गैर कानूनी है।