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यूपी में उथल-पुथल हुई तो लगा हमारे गवर्नर वहां न पहुंच जाएं: गहलोत

locationजयपुरPublished: Jul 02, 2021 01:11:12 pm

Submitted by:

Sameer Sharma

– मुख्यमंत्री ने कसे तंज और राज्यपाल की जमकर की प्रशंसा भी

यूपी में उथल-पुथल हुई तो लगा हमारे गवर्नर वहां न पहुंच जाएं:  गहलोत

यूपी में उथल-पुथल हुई तो लगा हमारे गवर्नर वहां न पहुंच जाएं: गहलोत

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र की बायोग्राफी पर आधारित कॉफी टेबल बुक के लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उत्तर प्रदेश भाजपा में हो रही उथल-पुथल को लेकर तंज कसे और राज्यपाल की जमकर प्रसंशा भी की। गहलोत ने कहा कि गहलोत ने कहा कि जब पिछले दिनों सुना उत्तर प्रदेश में उथल-पुथल हो रही है, तो लगा कि हमारे राज्यपाल वहां न पहुंच जाए। अगर ऐसा हुआ तो हमें यहां शानदार और बड़ा विदाई समारोह करना पड़ेगा। गहलोत ने यह भी कहा कि राजनीति में कब क्या हो जाए पता नहीं चलता। गहलोत ने उदाहरण भी दिया कि प्रतिभा सिंह हमारे यहां राज्यपाल हुआ करती थीं, बाद में वह राष्ट्रपति बन गईं, किसी ने सोचा भी नहीं था। गहलोत ने राज्यपाल की प्रसंशा में कहा कि राज्यपाल का लम्बा राजनीतिक जीवन है और सभी राजनीतिक दलों के राजनेताओं की ओर से समान रूप से इनको सम्मान भी मिला है। वे मृदुभाषी और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी हैं और उनकी कार्यशैली सभी से हटकर है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने गुरुवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल कलराज मिश्र के जन्मदिन पर बधाई दी और उनकी बायोग्राफी पर आधारित कॉफी टेबल बुक ‘निमित्त मात्र हूं मैंÓ का लोकार्पण किया। गहलोत ने कहा कि राज्यपाल ने अपनी पुस्तक के शीर्षक में ‘मैं’ को सबसे अंत में स्थान दिया गया है, जो सादगी और सोच को दर्शाता है।

एक समय आया जब राज्यपाल और सीएम के विचार अलग थे – जोशी

कार्यक्रम में पिछले साल विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सरकार और राज्यपाल के बीच हुए टकराव का भी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने जिक्र किया। उन्होंने कहा कि काउंसिल ऑफ मिनिस्टर ने निर्णय किया, उस पर राज्यपाल अलग राय पर थे। मुख्यमंत्री और राज्यपाल के विचारों में अंतर था, लेकिन आज दोनो के बीच अच्छे सम्बन्ध है। यह लोकतंत्र में बहुत अच्छा उदाहरण है। जोशी ने इस दौरान आरएसएस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई। कलराज मिश्र संघनिष्ठ नेताओं में से एक हैं। आज ऐसे ही विचारधारा के लोग संवैधानिक पदों पर है। इन नेताओं के पास लोकतंत्र को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। हमको संविधान के पद की गरिमा को बनाए रखते हुए काम करना होगा।

मिश्र की जनकल्याण प्रथमिकता, कोरोना में रहे सक्रीय – बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि राज्यपाल मिश्र ऐसे नेता हैं, जो विधानसभा, विधान परिषद्, राज्यसभा और लोकसभा चारों सदनों के सदस्य रहे हैं और अब राज्यपाल के पद पर संवैधानिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। मिश्र जिस भी दायित्व पर रहे, जनकल्याण हमेशा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा। बिरला ने कहा कि राष्ट्रवाद व देशभक्ति के विचारों के सृजन तथा उनको पुष्पित व पल्लवित करने में वे सदैव आगे रहे। उन्होंने विश्वविद्यालयों में संविधान पार्कों के निर्माण की अनुकरणीय पहल की है। बिरला ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मिश्र की सक्रियता की सराहना की। उन्होंने कहा कि कठिन और विषम परिस्थितियों में उन्होंने जनता की परेशानियों और पीड़ा को केंद्र व राज्य सरकार तक पहुंचाया। उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकार में समन्वय स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाई। इस प्रकार के प्रयासों के कारण ही हम प्रदेश में कोरोना को नियंत्रित करने में सफल हो सके।

राज्यपाल व्यक्ति नहीं एक संस्था है – मिश्र

राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि राज्यपाल व्यक्ति नहीं एक संस्था है। संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में हुई परिचर्चा में काउंसलर और संरक्षक तथा केन्द्र और राज्य के बीच समन्वय सेतु के रूप में बताई गई है। उन्होंने राज्यपाल ने इस अवसर पर अपन जीवन के महत्वपूर्ण संस्मरण भी सुनाए।
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