कार्यक्रम में पिछले साल विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सरकार और राज्यपाल के बीच हुए टकराव का भी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने जिक्र किया। उन्होंने कहा कि काउंसिल ऑफ मिनिस्टर ने निर्णय किया, उस पर राज्यपाल अलग राय पर थे। मुख्यमंत्री और राज्यपाल के विचारों में अंतर था, लेकिन आज दोनो के बीच अच्छे सम्बन्ध है। यह लोकतंत्र में बहुत अच्छा उदाहरण है। जोशी ने इस दौरान आरएसएस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई। कलराज मिश्र संघनिष्ठ नेताओं में से एक हैं। आज ऐसे ही विचारधारा के लोग संवैधानिक पदों पर है। इन नेताओं के पास लोकतंत्र को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। हमको संविधान के पद की गरिमा को बनाए रखते हुए काम करना होगा।
मिश्र की जनकल्याण प्रथमिकता, कोरोना में रहे सक्रीय – बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि राज्यपाल मिश्र ऐसे नेता हैं, जो विधानसभा, विधान परिषद्, राज्यसभा और लोकसभा चारों सदनों के सदस्य रहे हैं और अब राज्यपाल के पद पर संवैधानिक दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। मिश्र जिस भी दायित्व पर रहे, जनकल्याण हमेशा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में रहा। बिरला ने कहा कि राष्ट्रवाद व देशभक्ति के विचारों के सृजन तथा उनको पुष्पित व पल्लवित करने में वे सदैव आगे रहे। उन्होंने विश्वविद्यालयों में संविधान पार्कों के निर्माण की अनुकरणीय पहल की है। बिरला ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मिश्र की सक्रियता की सराहना की। उन्होंने कहा कि कठिन और विषम परिस्थितियों में उन्होंने जनता की परेशानियों और पीड़ा को केंद्र व राज्य सरकार तक पहुंचाया। उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकार में समन्वय स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाई। इस प्रकार के प्रयासों के कारण ही हम प्रदेश में कोरोना को नियंत्रित करने में सफल हो सके।
राज्यपाल व्यक्ति नहीं एक संस्था है – मिश्र
राज्यपाल व्यक्ति नहीं एक संस्था है – मिश्र
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि राज्यपाल व्यक्ति नहीं एक संस्था है। संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में हुई परिचर्चा में काउंसलर और संरक्षक तथा केन्द्र और राज्य के बीच समन्वय सेतु के रूप में बताई गई है। उन्होंने राज्यपाल ने इस अवसर पर अपन जीवन के महत्वपूर्ण संस्मरण भी सुनाए।