देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार देने में एकदम फेल साबित हुई है। जनसंख्या की दृष्टि से देश के बड़े राज्यों में से एक उत्तरप्रदेश में ही बेरोजगारी दर देश की बेरोजगारी दर से आधी रही है। बेरोजगारी के मामले में तो राजस्थान की हालत बिहार, झारखण्ड और बंगाल से भी खराब रही। बिहार जैसे पिछड़े राज्य से भी बेरोजगारी की दर ज्यादा रहना निश्चित ही राजस्थान प्रदेश और राज्य सरकार के लिए विचारणीय प्रश्न है।
देवनानी ने कहा कि कांग्रेस ने चुनाव के दौरान प्रदेशवासियों से मनमाफिक वादे किए। पिछले तीन बजटों में युवाओं को सरकारी नौकरी देने एवं रोजगार उपलब्ध कराने की बंपर घोषणाएं भी हुई लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही रहे। सरकार प्रदेश में पिछले ढाई साल से सरकारी नौकरियों पर कुंडली मार कर बैठी रही। वह घोषणाओं की ‘ढाई प्रतिशत’ भर्तियां भी पूरी नहीं कर पाई। घोषणाएं आज भी कागजों से बाहर निकले एवं मूर्तरूप लेने के इंतजार में है।
62 हजार को ही बेरोजगारी भत्ता देवनानी ने कहा कि सरकार ने युवाओं से बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया, लेकिन आज केवल 62 हजार को ही रोजगार भत्ता दिया जा रहा है, जबकि पंजीकृतों की संख्या 15 लाख से अधिक है। सरकार की उदासिनता के चलते युवाओं को रोजगार भत्ता व नौकरियों के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रही है।