सीएम ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि कोई भी राज्य सरकार केन्द्र सरकार की ओर से बनाए गए नियमों के बाहर जाकर कर्ज नहीं ले सकती है। राज्यों का कर्ज संविधान के अनुच्छेद 293 व एफआरबीएम की सीमा के तहत ही लिया जा सकता है। इससे स्पष्ट है कि कर्ज लेना भी अर्थव्यवस्था के लिए बनाए गए कानूनों के संगत है।
सीएम ने कहा कि 2013 में हमारी सरकार के दौरान प्रदेश पर जीएसडीपी का 23.98% यानी 1,29,910 करोड़ कर्ज था। 2018 में भाजपा सरकार के दौरान जीएसडीपी के 35% से भी अधिक यानी 3,11,371 करोड़ रुपये हो गया। भाजपा सरकार ने अपने पांच सालों में दोगुने से अधिक कर्ज लिया। भारत सरकार पर मार्च 2014 में लगभग 57 लाख करोड़ का कर्ज था।
2022 में ये बढ़कर 136 लाख करोड़ हो गया। यानी मोदी सरकार के 7 सालों में ही कर्ज ढाई गुना बढ़ गया। इस पर विपक्ष के साथियों को अपनी राय जरूर रखनी चाहिए।
गहलोत ने कहा कि वर्ष 2010-11 से 2012-13 तक लगातार राजस्व आधिक्य की स्थिति रही थी। 2012-13 में जब हमारी सरकार थी तो रेवन्यू सरप्लस 3,451 करोड़ रुपये था यानी कोई राजस्व घाटा नहीं था एवं 3,451 करोड़ रुपये का फायदा था। जबकि भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल के सभी वर्षों में लगातार राजस्व घाटा रहा था। 2018-19 में भाजपा सरकार ने राजस्व घाटा लगातार बढ़ाते हुए 28,900 करोड़ रुपये कर दिया जिसका असर अब तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर है।
कोविड के बाद अब सामान्य हो रहे हालातों में हमारी सरकार की राजस्व प्राप्तियां बढ़ने लगी हैं। प्रदेश में लगातार निवेश बढ़ रहा है एवं हमारी अर्थव्यवस्था का आकार भी बढ़ता जा रहा है। यह दिखाता है कि हम बजट में की गई घोषणाओं को समय पर पूरा करने में सफल होंगे एवं राजस्थान को बुलंदियों के नए आयामों पर लेकर जाएंगे।