मुख्यमंत्री ने कहा कि मरूस्थलीय इलाकों में राज्य की ज्यादातर गांव-ढाणियां छितरे रूप से दूर-दूर बसी हुई हैं। इस कारण पेयजल योजनाओं की लागत अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक आती है। पानी की विकट समस्या वाले राज्य के पूर्वी भाग के 13 जिलों में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 5 लीटर के अनुसार पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नदियाें को जोड़ने की योजना हाथ में लेनी पड़ेगी, जिसकी लागत अत्यधिक होगी। पूर्व में भी वर्ष 2013 तक राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत मरूस्थलीय क्षेत्रों के लिए 90 अनुपात 10 के आधार पर ही केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराई जाती थी, जिसे घटाकर पहले तो 60 अनुपात 40 तथा बाद में 50 अनुपात 50 कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने पत्र में यह भी कहा कि राज्य के वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता तथा विषम परिस्थितियों के मद्देनजर पेयजल के इस कार्य के लिए राजस्थान को अधिक केन्द्रीय सहायता की आवश्यकता है।