सीएम गहलोत ने 8 जून को हुई बाघ की मौत को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच करने और लापरवाह कार्मिकों एवं अधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय करने के आदेश दिये हैं। जांच अधिकारी अपनी रिपोर्ट में सरिस्का बाघ परियोजना (
Sariska Tiger Project ) क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था के आंकलन और सरिस्का में प्रबंधन व्यवस्था एवं विभिन्न सुविधाओं के सुधार पर भी सुझाव देंगे।
आपको बता दें कि सरिस्का (
Sariska Tiger Reserve ) में वन अधिकारियों की लापरवाही से एक बाघ की जान चली गई। मौत तब हुई जब कथित तौर पर उसके पैर की गांठ का इलाज करने के लिए वन अधिकारियों ने उसे ट्रेंक्यूलाइज किया। बाघ (एसटी-16) अलवर के मालाखेड़ा के पास रोटक्याला क्षेत्र में मृत मिला था।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाघ की मौत बेहोशी की दवा के ओवरडोज से हुई, जबकि डीएफओ सेढूराम यादव का दावा है कि गर्मी ( Heat Stroke ) की वजह से मौत हुई। गौरतलब है कि TIGER ST-16 को करीब 2 महीने पहले ही रणथम्भौर (
Ranthambore National Park ) से सरिस्का में लाया गया था।
15 माह में चार बाघों की हुई मौत राजस्थान में बाघों की संख्या में लगातार कमी हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सरिस्का बाघ अभयारण्य की बात करें तो यहां पिछले 15 माह में चार बाघों की मौत हो चुकी है। जिनमें बाघ (एसटी-16) के साथ बाघिन एसटी-5, बाघ एसटी-11, बाघ एसटी-4 शामिल हैं।
– बाघिन एसटी-5 ( Tigress ST-5 ) की फरवरी 2018 में अचानक गायब होने की खबरें आई थी। वहीं, बाद में बाघिन की मौत की पुष्टी हुई।
– सरिस्का में सबसे मजबूत बाघ एसटी-11 ( Tiger ST-11 ) की फंदे में फंसकर मौत हो गई थी।
– साल 2018 दिसंबर में बाघ एसटी-4 ( Tiger ST-4 ) और बाघ एसटी-6 ( Tiger ST-6 ) के संघर्ष में बाघ एसटी-4 की मौत हो गई थी।