गहलोत के निर्देश पर मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने भर्तियों में शैक्षणिक योग्यता संबंधी विवादों को दूर करने के लिए विभागों में विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में शैक्षिक अर्हता एवं शैक्षिक समकक्षता समिति के गठन तथा नियमित भर्तियों के संबंध में अलग-अलग परिपत्र जारी किए हैं। गौरतलब है कि राज्य सरकार में अलग-अलग पदों पर नियुक्ति के लिए बने सेवा नियमों में पद के अनुरूप आवश्यक शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान है।
साथ ही, इन पदों की वांछित शैक्षणिक योग्यता में डिग्री, डिप्लोमा या पाठ्यक्रम के साथ ही ‘अथवा समकक्ष’ निर्धारित किया जाता है। वर्तमान में विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं की ओऱ से लगातार नए पाठ्क्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं, जो इन पदों की शैक्षिक अर्हता से संबंधित डिग्री, डिप्लोमा अथवा पाठ्यक्रम के समान ‘अथवा समकक्ष‘ होते हैं।
इन सभी कोर्सेज को पद विशेष की शैक्षणिक योग्यता में शामिल कर पाना व्यवहारिक रूप से संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में पदों की शैक्षणिक योग्यता को अद्यतन करने तथा भर्तियों में शैक्षणिक योग्यता की समकक्षता के संबंध में होने वाले किसी भी विवाद के समाधान के लिए यह समिति एक संस्थागत व्यवस्था के रूप में कार्य कर सकेगी।
कार्मिक विभाग की सहमति आवश्यक नहीं
विभागों में रिक्त और नवसृजित पदों पर नियमित भर्तियां करने और इस प्रक्रिया को समयबद्ध संपन्न कराने के संबंध में मुख्य सचिव की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार, भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने एवं रिक्त पदों को भरने के लिए कार्मिक विभाग की सहमति आवश्यक नहीं होगी। सभी प्रशासनिक विभागों की ओर से सीधी भर्ती के पदों के संबंध में रिक्तियों की गणना 15 अप्रेल तक आवश्यक रूप से संपन्न की जाएगी।
गणना के लिए 1 अप्रेल को उपलब्ध रिक्तियों, सेवा-निवृत्ति, नवीन पद सृजन अथवा अन्य किसी कारण से 15 अप्रेल तक प्राप्त होने वाली रिक्तियों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा यह भी निर्देश दिए गए हैं कि कार्मिक विभाग की ओर से हर साल 15 मई से पूर्व उन सभी विभागों, जिनमें सीधी भर्ती की जानी है अथवा जिनमें रिक्तियां हैं, के संस्थापन कार्य से जुड़े अधिकारियों एवं कार्मिकों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी।