सरकार बता चुकी हालात, फिर भी..
-नगरीय निकाय के अनुमति के बिना ही आवासीय कॉम्पलेक्स व रिहायशी इलाकों में कोचिंग सेंटर संचालन अवैध है।
-न तो पार्किंग की समुचित व्यवस्था है और न ही अग्निसुरक्षा मानकों के अनुसार फायरसेफ्टी यंत्र उपलब्ध हैं।
-कई जगह तो लोहे का ढांचा बनाया गया जिससे कभी भी हादसा हो सकता है।
-आगजनी व भगदड़ की स्थिति में निकास के लिए अलग से व्यवस्था नहीं।
-नगरीय निकाय के अनुमति के बिना ही आवासीय कॉम्पलेक्स व रिहायशी इलाकों में कोचिंग सेंटर संचालन अवैध है।
-न तो पार्किंग की समुचित व्यवस्था है और न ही अग्निसुरक्षा मानकों के अनुसार फायरसेफ्टी यंत्र उपलब्ध हैं।
-कई जगह तो लोहे का ढांचा बनाया गया जिससे कभी भी हादसा हो सकता है।
-आगजनी व भगदड़ की स्थिति में निकास के लिए अलग से व्यवस्था नहीं।
नियम है पर पालना नहीं
-15 मीटर से उंचे भवनों में फायर एनओसी लेना है अनिवार्य
-जहां 50 से ज्यादा लोगों की आवाजाही एक समय रहती है वहां भी एनओसी जरूरी
-300 वर्गमीटर से बड़े कंस्ट्रशन एरिया भवन में फायर फाइटिंग सिस्टम हो
-घनी आबादी इलाके में ईंधन संचालित व्यवसाय नहीं होना चाहिए
-अग्निशमन संसाधन के बिना संचालित प्रतिष्ठानों को सील करने का है प्रावधान
-15 मीटर से उंचे भवनों में फायर एनओसी लेना है अनिवार्य
-जहां 50 से ज्यादा लोगों की आवाजाही एक समय रहती है वहां भी एनओसी जरूरी
-300 वर्गमीटर से बड़े कंस्ट्रशन एरिया भवन में फायर फाइटिंग सिस्टम हो
-घनी आबादी इलाके में ईंधन संचालित व्यवसाय नहीं होना चाहिए
-अग्निशमन संसाधन के बिना संचालित प्रतिष्ठानों को सील करने का है प्रावधान