जयपुर

आयोग ने दबाया 60 हजार से अधिक शिक्षकों का हक

प्रदेश के 60 हजार से अधिक शिक्षकों की पदोन्नति (Teachers promotion) के अरमानों पर राजस्थान लोक सेवा आयोग प्रशासन (RPSC) ने ब्रेक लगा दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिलने के बाद भी आयोग प्रशासन ने बैठक नहीं बुलाई है। इससे पदोन्नति की राह अटकी हुई है। पदोन्नति की विसंगति (Promotion discrepancy) को लेकर दो साल से मामला गूंज रहा था।

जयपुरOct 03, 2020 / 11:39 pm

vinod

आयोग ने दबाया 60 हजार से अधिक शिक्षकों का हक

सीकर। प्रदेश के 60 हजार से अधिक शिक्षकों की पदोन्नति (Teachers promotion) के अरमानों पर राजस्थान लोक सेवा आयोग प्रशासन (RPSC) ने ब्रेक लगा दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिलने के बाद भी आयोग प्रशासन ने बैठक नहीं बुलाई है। इससे पदोन्नति की राह अटकी हुई है। दरअसल पदोन्नति की विसंगति (Promotion discrepancy) को लेकर पिछले दो साल से मामला गूंज रहा था। इसके बाद शिक्षा राज्य मंत्री ने विसंगति दूर करने के लिए समीक्षा कराई थी। इस दौरान व्याख्याता व प्रधानाध्यापक के प्रधानाचार्य पद पद पदोन्नति के लिए 80:20 का अनुपात लगभग तय कर लिया। लेकिन लोक सेवा प्रशासन के अनुमोदन की वजह से मामला अटका हुआ है। लोक सेवा आयोग की देरी की वजह से प्रदेश के व्याख्याता व प्रधानाध्यापकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय में मई महीने में बैठक
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की शिक्षा संबंधी मुद्दों को लेकर आठ मई को बैठक हुई थी। इस बैठक में प्राध्यापक व प्रधानाध्यापक पदोन्नति को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने पदोन्नति नियमों को तर्कसंगत बनाने की बात कही थी। इसके बाद शिक्षा राज्य मंत्री ने नए नियमों का संकेत देते हुए ट्वीट भी किया था।
80:20 पर मुहर लगने की आस
पदोन्नति के मामले को लेकर भादरा विधायक बलवान पूनियां ने शिक्षा विभाग गु्रप दो को पत्र लिखा था। विधायक को संयुक्त शासन सचिव राजेश वर्मा की ओर से लिखे पत्र में बताया कि पहले 33 प्रतिशत प्रधानाध्यापक व 67 प्रतिशत प्राध्यापक स्कूल शिक्षा को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नत किया जाता था। फिलहाल प्रधानाध्यापक का कैडर स्ट्रेंथ 3650 है। जबकि प्राध्यापकों की संख्या लगभग 52 हजार 699 है। इस हिसाब से इनका अनुपात 7: 93 प्रतिशत होता है। ऐसे में पुराने नियम अब व्यावहारिक प्रतीत नहीं होते है। संयुक्त शासन सचिव की ओर से लिखे पत्र में बताया कि अब 80:20 प्रतिशत का अनुपात करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
प्रधानाध्यापक बोले, नए नियमों से युवाओं को नुकसान
प्रधानाध्यापकों का तर्क है कि नए नियमों से व्याख्याता के पद से प्रधानाध्यापक के पद पर जाने वाले 350 से अधिक युवाओं को काफी नुकसान होगा। शिक्षा सेवा परिषद का कहना है कि प्रधानाध्यापक सीधी भर्ती के जरिए शिक्षा विभाग का सबसे बड़ा पद है। ऐसे में सरकार को फिर से रिव्यू भी करना चाहिए। इधर, व्याखताओं का कहना है कि वर्तमान संख्या के हिसाब से पदोन्नति का जो अनुपात तय किया है वह सही है।
जल्द दिलाएंगे राहत
मुख्य सचिव के जरिए राजस्थान लोक सेवा आयोग को सरकार की मंशा से अवगत कराया जाएगा। सरकार ने पदोन्नति की विसंगतियों को दूर कर दिया है। जल्द इस मामले में प्रदेश के व्याख्याता व प्रधानाध्यापकों को राहत दिलाई जाएगी।
गोविंद सिंह डोटासरा, शिक्षा राज्य मंत्री
रेसा पदोन्नति अनुपात के विरोध में
सरकार के प्रस्तावित नए नियमों से प्रधानाध्यापकों का पदोन्नति का एक तरह से रास्ता बंद हो जाएगा। इससे विभाग के उच्च पद रिक्त रहने की संभावना बनेगी। रेसा नए पदोन्नति अनुपात का विरोध करता है।
कृष्ण कुमार गोदारा, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद

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