जवाबदेही कानून को लेकर विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस पार्टी ने बड़े-बड़े दावे भी किए थे, हालांकि सरकार बनने के बाद इस पर काम भी हुआ और एक रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई, जिसे कानून का मसौदा तैयार करने का जिम्मा दिया गया था।
कमेटी ने कई बैठकें कर कानून का मसौदा तैयार भी किया और रिपोर्ट मुख्यमंत्री सौंप दी, लेकिन उसके बाद जवाबदेही कब आएगा, इस पर न तो सरकार के मंत्री और न ही अधिकारी कुछ बोलने तो तैयार हैं। जवाबदही कानून लागू करने की मांग को लेकर मंगलवार को कई सामाजिक संगठनों ने सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय के नेतृत्व विधानसभा का घेराव भी किया था।
ये किए गए थे दावे
दरअसल सरकार में ये दावे किए गए थे कि जवाबदेही कानून लागू होने के बाद जनता की ओर से संबंधित विभागों की शिकायतों का निवारण अधिकारी-कर्मचारियों को 15 दिन के भीतर करने होगा, साथ ही शिकायतकर्ता को इसकी सूचना भी तय समय के भीतर देनी होगी। अगर 15 दिन के भीतर शिकायतकर्ता की शिकायत का निस्तारण नहीं होगा तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकेगी।
जवाबदेही कानून के तहत प्रदेश के हर पंचायत स्तर पर भी सुनवाई होगी। इसके लिए सरकार राज्य की प्रत्येक पंचायत पर सूचना और सहयोग केंद्र खोलेगी, जहां जनता अपनी शिकायत दर्ज करा सकेगी। जवाबदेही कानून के तहत 25 विभागों की 220 सेवाएं दायरे में होंगी। आम आदमी के सभी अधिकार नए कानून के दायरे में रखे जाएंगे।