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साहबों पर मेहरबानी, बच्चों के लिए स्पेशल लो-फ्लोर

locationजयपुरPublished: Feb 23, 2020 02:15:21 pm

Submitted by:

Vijay Sharma

-डेढ़ लाख प्रति माह का नुकसान पाकर 16 हजार कमा रही बस-घर से निजी स्कूल लाने-ले जाने के काम आ रही बस- 224 किमी दिनभर चलती, 60 किमी वीआईपी रूट पर

जयपुर। घाटे से जूझ रही जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (जेसीटीएसएल )
की बसों को साहबों पर मेहरबानी के लिए दौड़ाया जा रहा है। सांगानेर डिपो की 3ए नंबर की बस सिर्फ इसी काम के लिए चलाई जा रही है। डिपो से निकलने वाली एक मात्र बस साहबों के बच्चों को घर से सी स्कीम स्थित एक स्कूल लाने-ले जाने के काम आ रही है। सुबह-दोपहर स्कूल टाइम के अलावा बस अजमेरी गेट से सांगानेर चल रही है। ऐसे में अगर स्कूल की छुट्टी जल्दी हो जाए तो रूट छोड़कर स्कूल आ जाती है। बस सांगानेर से लेकर गांधी नगर, बजाज नगर, कर्मचारी कॉलोनी स्थित सरकारी आवासों से बच्चों को ले जा रही है।
हैरानी बात है कि बस पूरे दिन 224 किलोमीटर का सफर कर रही है, इसमें से 60 किलोमीटर तो सिर्फ खास 12 बच्चों के लिए चल रही है। ऐसे में जेसीटीएसएल डेढ़ लाख रुपए प्रति महीने का नुकसान पाकर 16 हजार रुपए कमा रही है।
सड़क पर स्थिति…यात्री घंटों बस के इंतजार में
सांगानेर डिपो में संचालन ठप पड़ा है। 60 बसों में से महज पांच बसें ही चल रही हंै। इसीलिए सांगानेर से लेकर अजमेरी गेट तक यात्रियों को बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, टोंक रोड यात्रियों के लिए हिसाब से सबसे व्यस्त रूट है। ऐसे में बस करीब चार घंटे गायब रहकर बच्चों के लिए संचालित होती है।
ऐसे समझें बस की आय और नुकसान का गणित
-224 किमी रोज बस चलती है सांगानेर से अजमेरी गेट के लिए
-15500 रुपए औसतन रोज कमाई होती है इस रूट पर बस की
-69 रुपए प्रति किमी बस की आय हो रही है
-60 किमी बच्चों के लिए चल रही है बस
-1.25 लाख रुपए नुकसान हो रहा है बस को
-16 हजार रुपए तक बच्चों को महीने में मिलते
सवाल मांगते जबाव
-प्रबंधन घाटा खाकर महज 12 बच्चों के लिए क्यों बस चला रहा?
-सांगानेर डिपो में बस संख्या बहुत कम फिर भी स्कूल के लिए बस क्यों
-मूक बधिर बच्चों के स्कूल त्रिमूर्ति सर्कल से सेवा क्यों शुरू नहीं, जबकि ज्यादा जरूरत उन्हें हैं?
– सरकारी स्कूल पोद्दार के लिये कोई कनेक्टिविटी नहीं, यहां बसें क्यों नहीं

सांगानेर डिपो की स्थिति बहुत खराब है। कुछेक बस ही चल रही हैं। इस बीच नुकसान खाकर बसों को चलाया जा रहा है, यह मुझे पता नहीं है। अगर ऐसा है तो इसकी जानकारी ली जाएगी। नरेन्द्र गुप्ता, एमडी जेसीटीएसएल

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