ब्रेन ट्यूमर की समस्या से जूझ रही मरीज के परिजन बताते हैं कि उन्हें हर वक्त बहुत तेज सिर दर्द होता था जो उनके लिए सह पाना मुश्किल होता जा रहा था। धीरे धीरे उन्हें उल्टियां भी होने लगी थीं और हमारी बातें समझने में भी असमर्थ होती जा रही थीं। उनके दाईं तरफ के हाथ पैरों में भी लगातार कमजोरी आती जा रही थी। उनकी हालत तेजी से खराब होते देख हमने उन्हें सीके बिरला हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जन डॉ. अमित चक्रबर्ती को दिखाया। उन्होंने सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर उन्हें बचा लिया। सर्जरी के बाद महिला की तबियत में तेजी से सुधार आया है।
डॉ. अमित ने बताया कि महिला को लो-ग्रेड ग्लियोमा या लो-ग्रेड कैंसर का ट्यूमर था। इस सर्जरी को इंट्रा-ऑपरेटिव ट्यूमर फ्लोरेंस-फ्लो सॉफ्टवेयर की मदद से किया गया था। बायीं ओर के ब्रेन में यदि कोई ट्यूमर होता है तो वहां हमारे लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि कब हम ट्यूमर की जगह ब्रेन की बाउंड्री में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में चिकित्सा तकनीक में कुछ नए बदलाव आए हैं जो बेहतर परिणाम देने वाले साबित हो रहे हैं।
इसमें माइक्रोस्कोप के जरिए देखते समय मरीज को एक खास किस्म की डाई लगाई जाती है। वहीं माइक्रोस्कोप में एक लाइट फिल्टर होती है, जिसे इलेक्ट्रॉनिकली शुरू किया जाता है। इसमें एक खास किस्म के सॉफ्टवेयर की मदद ली जाती है। नई तकनीक से हम ब्रेन में फैले इस ट्यूमर को बेहतर तरीके से देख सकते हैं और सर्जरी द्वारा उसे पूरी तरह निकाल सकते हैं।