इससे पहले शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक दो बार हुई। पहली बैठक में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियंका गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंहmanmohan singh, एके एंटनी समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। इस बैठक में नेताओं के 5 समूह बनाए गए थे और उन्हें पांच जोन में बांट दिया गया था। इन पांच ग्रुपों के नेताओं ने दिन भर देश भर के कांग्रेस नेताओं की राय ली और उनसे कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नेता का नाम पूछा। बाद में सभी ग्रुपों ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस कार्यसमिति को सौंप दी। इसमें राहुल गांधी,प्रियंका गांधी के नाम उभर कर सामने आए। राहुल ने तो पार्टी की कमान संभालने से मना कर दिया और प्रियंका priyanka gandhiके नाम पर भी पूरी तरह से आम सहमति नहीं बनी। ऐसे में पार्टी नेताओं ने सोनिया गांधी से पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने को कहा, पहले तो सोनिया ने भी साफ मना कर दिया लेकिन नेताओं ने तर्क दिए कि गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस बिखर जाएगी। अंतत: नेताओं के दबाव के बाद सोनिया गांधी अध्यक्ष बनने के लिए राजी हो गई।
सोनिया गांधी इससे पहले 1998 से 2017 तक कांग्रेस की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाली नेता है। 1998 में पार्टी की कमान संभालते ही कांग्रेस की दशा और दिशा सुधरने लगी थी। उस वक्त राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ में कांग्रेस की सरकारें बनी। 2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय लोकसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस केन्द्र में सत्ता में आई और उसके बाद 2009 में कांग्रेस ने दुबारा से सत्ता पर कब्जा किया। इसके बाद कांग्रेस के बुरे दिन शुरू होने लग गए थे। 2014 में कांग्रेस मात्र 44 सीटों पर सिमट गई और 2019 में भी पार्टी को सफलता नहीं मिल सकी और वह 52 सीटें ही जीत पाई।