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congress ने अपनाई गांधीगिरी

locationजयपुरPublished: Aug 11, 2019 08:47:05 am

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rahul

आखिरकार कांग्रेस ने एक बार िफर से गांधीगिरी अपना लीं। पार्टी ने शनिवार को दिन भर मशक्कत करने के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस संभला दी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में यह बड़ा फैसला किया गया

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congress ने अपनाई गांधीगिरी

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आखिरकार कांग्रेस congressने एक बार िफर से गांधीगिरी अपना लीं। पार्टी ने शनिवार को दिन भर मशक्कत करने के बाद सोनिया गांधी soniya gandhi को कांग्रेस संभला दी। कांग्रेस वर्किंग कमेटी cwc की बैठक में यह बड़ा फैसला किया गया.लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी rahul gandhiने कांग्रेस अध्यक्ष congress president पद से इस्तीफा दे दिया था।. हालांकि सोनिया ने पहले अंतरिम अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया था लेकिन बाद में नेताओं के कहने पर वो अंतरिम अध्यक्ष बनने के लिए राजी हो गई. अब कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुने जाने तक सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष रहेंगी। इससे पहले सोनिया गांधी साल 1998-2017 तक पार्टी की कमान संभाल चुकी हैं।
इससे पहले शनिवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक दो बार हुई। पहली बैठक में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रियंका गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंहmanmohan singh, एके एंटनी समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। इस बैठक में नेताओं के 5 समूह बनाए गए थे और उन्हें पांच जोन में बांट दिया गया था। इन पांच ग्रुपों के नेताओं ने दिन भर देश भर के कांग्रेस नेताओं की राय ली और उनसे कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नेता का नाम पूछा। बाद में सभी ग्रुपों ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस कार्यसमिति को सौंप दी। इसमें राहुल गांधी,प्रियंका गांधी के नाम उभर कर सामने आए। राहुल ने तो पार्टी की कमान संभालने से मना कर दिया और प्रियंका priyanka gandhiके नाम पर भी पूरी तरह से आम सहमति नहीं बनी। ऐसे में पार्टी नेताओं ने सोनिया गांधी से पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने को कहा, पहले तो सोनिया ने भी साफ मना कर दिया लेकिन नेताओं ने तर्क दिए कि गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस बिखर जाएगी। अंतत: नेताओं के दबाव के बाद सोनिया गांधी अध्यक्ष बनने के लिए राजी हो गई।
सोनिया गांधी इससे पहले 1998 से 2017 तक कांग्रेस की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाली नेता है। 1998 में पार्टी की कमान संभालते ही कांग्रेस की दशा और दिशा सुधरने लगी थी। उस वक्त राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ में कांग्रेस की सरकारें बनी। 2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय लोकसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस केन्द्र में सत्ता में आई और उसके बाद 2009 में कांग्रेस ने दुबारा से सत्ता पर कब्जा किया। इसके बाद कांग्रेस के बुरे दिन शुरू होने लग गए थे। 2014 में कांग्रेस मात्र 44 सीटों पर सिमट गई और 2019 में भी पार्टी को सफलता नहीं मिल सकी और वह 52 सीटें ही जीत पाई।
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