कल भी किया सवाल
किसानों की दुर्दशा और कर्ज में डूबने के आरोप लगाती आ रही कांग्रेस ने अब एक और किसान के नागौर जिले में आत्महत्या करने को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सवाल किया है कि कर्जे में डूबे किसान की जमीन की कुर्की का आदेश देकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने वाली सरकार बताए कि इससे प्रदेश का कौनसा गौरव बढ़ रहा है? कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने नागौर के चारणवास गांव निवासी मंगलचंद के फांसी लगाकर आत्महत्या करने को मुद्दा बनाते हुए मुख्यमंत्री से यह चौथा सवाल किया है।
किसानों की दुर्दशा और कर्ज में डूबने के आरोप लगाती आ रही कांग्रेस ने अब एक और किसान के नागौर जिले में आत्महत्या करने को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सवाल किया है कि कर्जे में डूबे किसान की जमीन की कुर्की का आदेश देकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने वाली सरकार बताए कि इससे प्रदेश का कौनसा गौरव बढ़ रहा है? कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने नागौर के चारणवास गांव निवासी मंगलचंद के फांसी लगाकर आत्महत्या करने को मुद्दा बनाते हुए मुख्यमंत्री से यह चौथा सवाल किया है।
सबसे बड़ा प्रहार कृषि उपकरणों की सब्सिडी घटाकर किया कांग्रेस की ओर से सोमवार को जारी बयान में पायलट ने कहा कि देश व प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद से कृषि व किसान दोनों की अनदेखी बढ़ी है। सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि भाजपा सरकार की नीतियों के कारण सैंकड़ों किसानों ने आत्महत्या कर ली है। मुख्यमंत्री दावे कर रही हैं कि उनकी सरकार 50 हजार रुपए तक का फसली ऋण माफ कर रही है, जबकि सच्चाई यह है कि किसानों की आत्महत्या का सिलसिला अनवरत जारी है। उन्होंने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री चुनावी यात्रा निकाल रही हैं, और दूसरी ओर प्रदेश के गौरव को ठेस पहुंच रही है। राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद से अनेक प्राकृतिक आपदाएं आई हैं, परन्तु सरकार की ओर से मिलने वाली राहत से लाखों किसान आज भी वंचित है। भाजपा राज में किसानों को खाद्, बीज, पानी व बिजली के लिए लाठियां खानी पड़ी हैं। सरकार ने सबसे बड़ा प्रहार कृषि उपकरणों की सब्सिडी घटाकर किया, यहां तक कि डिग्गी निर्माण व अन्य आधारभूत संरचनाओं के पेटे मिलने वाली सहायता को कम कर दिया। उपज की खरीद पर्याप्त मात्रा में और उचित दरों पर नहीं की गई। इससे लगातार किसान कर्ज में डूबता जा रहा है।
भेदभाव किया गया पायलट ने कहा कि प्रदेश में 90 फीसदी फसल किसानों को एमएसपी से 20 प्रतिशत से कम दामों पर बेचनी पड़ी है। इसके अलावा फसल बीमा के नाम पर किसानों को भ्रमित करने का खेल जारी है। पिछले बजट में 30 लाख से ज्यादा किसानों के 8 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफी का दावा किया गया। जबकि सरकार के पास इतनी राशि की व्यवस्था आज तक नहीं हो सकी है। लाखों किसान जो सरकारी बैंकों से ऋण लेते हैं तथा असिंचित क्षेत्र में 2 हैक्टेयर से ज्यादा भूमि वाले हैं, उन्हें तो कर्ज माफी से बाहर रखकर भेदभाव किया गया है।