प्रदेश कांग्रेस को भी 10 लाख किसानों के हस्ताक्षर का जिम्मा दिया गया था, जिस पर प्रदेश कांग्रेस का दावा है कि वे राजस्थान में 15 लाख का लक्ष्य पूरा कर चुके हैं। किसानों से हस्ताक्षर कराए जाने के लिए प्रदेश कांग्रेस हस्ताक्षर अभियान प्रभारियों की नियुक्तियां भी की थी जों संबंधित जिलों में जाकर किसानों से हस्ताक्षर कराए गए हैं। प्रदेश कांग्रेस से जुड़े नेताओं की माने तो सबसे ज्यादा हस्ताक्षर वाले जिलों में हनुमानगढ़ और गंगानगर है। उसके बाद शेखावाटी के कई जिले हैं।
19 नवंबर को राष्ट्रपति को देंगे हस्ताक्षर का रिकॉर्ड
प्रदेश कांग्रेस के निवर्तमान उपाध्यक्ष और हस्ताक्षर अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे मुमताज मसीह का दावा है कि जो टारगेट राजस्थान को दिया गया था उससे कहीं ज्यादा राजस्थान ने लक्ष्य हासिल किया है।
उन्होंने बताया कि एक दो दिन में हस्ताक्षर अभियान का रिकॉर्ड अखिल भारतीय कांग्रेस के दिल्ली स्थित मुख्यालय को भेजा जाएगा, जिसके बाद 19 नवंबर को सोनिया गांधी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर 2 करोड़ हस्ताक्षरों का ज्ञापन सौंपकर केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करेंगे। हालांकि हस्ताक्षरों का ज्ञापन पहले 14 नवंबर को सौंपना था, लेकिन दीवाली पर्व के चलते अब 19 नवंबर का दिन तय किया गया है।
हस्ताक्षर अभियान से डेटा बेस भी हुआ तैयार
सूत्रों की माने तो हस्ताक्षर अभियान से कांग्रेस के पास उन 15 लाख किसानों का डेटा बेस भी तैयार हो जाएगा जो केंद्र की नीतियों से नाराज हैं, डेटा बेस तैयार होने से प्रदेश कांग्रेस कभी भी इनसे संपर्क साध सकती है। वहीं बताया जा रहा है कि हस्ताक्षर अभियान का फायदा कांग्रेस को जिला परिषद और पंचायत चुनावों में मिल सकता है, डेटाबेस के जरिए कांग्रेस को इस बात की जानकारी रहेगी कि किन-किन क्षेत्रों के किसान केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ हैं।
टारगेट से ज्यादा हस्ताक्षर होने से कांग्रेस नेता उत्साहित
वहीं प्रदेश में 10 लाख किसानों के हस्ताक्षर के टारगेट को पार करते हुए आंकड़ा 15 लाख तक पहुंचने से प्रदेश कांग्रेस के नेता उत्साहित हैं। प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि इससे पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सहित हस्ताक्षर अभियान का जिम्मा संभाल रहे नेताओं का कद कांग्रेस आलाकमान की नजरों में बढ़ेगा। गौरतलब है कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ 24 सितंबर से लेकर 10 अक्टूबर तक विरोध पखवाड़ा मनाया था।