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कागजों में सीमित कांग्रेस की कॉर्डिनेशन कमेटी, नहीं हुई एक भी बैठक

locationजयपुरPublished: Feb 04, 2020 11:26:38 am

Submitted by:

firoz shaifi

सत्ता और संगठन में तालमेल के लिए कांग्रेस आलाकमान ने बनाई थी कॉर्डिनेशन कमेटी , सत्ता और संगठन के बीच अब भी जारी है खींचतान

ashok gehlot

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फिरोज सैफी/जयपुर।

राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही लगातार सत्ता और संगठन के बीच खींचतान जारी है, इस पर लगाम लगाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई लेकिन यह कमेटी भी कागजों तक ही सीमित होकर रह गई है।

कमेटी गठन के बाद से आज तक कॉर्डिनेशन कमेटी की एक भी बैठक नहीं हो पाई है, जिसके चलते न तो बयानबाजी रुक पा रही है और ना ही खींचतान। ऐसे में कोआर्डिनेशन कमेटी को लेकर कांग्रेस गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं। कांग्रेस हलकों में ऐसी चर्चा है कि जब कमेटी की बैठक ही नहीं होनी थी तो फिर कमेटी गठन का औचित्य क्या है। यही हाल चुनावी वादों को पूरा करने के लिए बनी मैनिफेस्टो कमेटी का भी है। इसकी एक भी बैठक नहीं हो पाई है।

 

बनी थी 8 सदस्यीय कॉर्डिनेशन कमेटी
दरअसल 20 जनवरी को कांग्रेस आलाकमान ने सत्ता और संगठन में तालमेल बनाने के लिए 8 सदस्यीय कॉर्डिनेशन कमेटी का गठन किया था। इसमें प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे को कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया था और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ सचिन पायलट, वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी, मंत्री भंवरलाल मेघवाल हरीश चौधरी, विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत और महेंद्र जीत सिंह मालवीय को इसका सदस्य बनाया गया था।

जानकारों की माने तो कमेटी के गठन के साथ ही आलाकमान की ओर से यह भी निर्देश दिए गए थे कि जल्द ही बैठक बुलाकर सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बनाया जाए लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक कमेटी की एक भी बैठक नहीं हो पाई है। हालांकि कमेटी की बैठक कब होगी इस पर न तो कमेटी के सदस्य और ना ही कोई अन्य नेता बोलने को तैयार है।

 

वहीं कॉर्डिनेशन कमेटी के साथ ही बनी चुनाव घोषणा पत्र समिति की भी अभी तक एक भी बैठक नहीं हो पाई है, कमेटी का उद्देश्य घोषणा पत्र में किए गए वादों को लागू करवाना है। घोषणा पत्र समिति में छत्तीसगढ़ सरकार के गृहमंत्री और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य ताम्रध्वज साहू को चेयरमैन बनाया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और सचिन पायलट को कमेटी का सदस्य बनाया गया है।

 

इसलिए पड़ी जरूरत
दरअसल राज्य में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है तब से ही सत्ता और संगठन के बीच खींचतान लगातार जारी है। ऐसे कई बार ऐसे मौके आए हैं जब संगठन के लोगों ने सरकार पर सवाल खड़े किए चाहे वह कानून व्यवस्था का मामला हो या फिर कोटा में बच्चों की मौत का मामला। इसके चलते सरकार को विपक्ष के साथ ही अपनों के निशाने पर भी आना पड़ा। इसकी शिकायतें लगातार दिल्ली भी पहुंची, कई बार पार्टी और सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने वाले नेताओं को कड़ी चेतावनी भी जारी की गई लेकिन कोई असर नहीं हुआ।

इनका कहना है

इसमें हम क्या कर सकते हैं, बैठक कब होगी ये तो आलाकमान तय करेंगे
महेंद्रजीत सिंह मालवीय, विधायक, सदस्य कॉर्डिनेशन कमेटी

 

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