दरअसल इसकी एक वजह यह भी है कि जिन उद्देश्योंम के साथ कांग्रेस के अग्रिन संगठन एनएसयूआई, युवा कांग्रेस और सेवादल ने लोगों की मदद के लिए 24 घंटे के कंट्रोल रूम शुरू किए थे लेकिन कंट्रोल रूम में आने वाली शिकायतों के निस्तारण में वह पूरी तरीके से बेअसर साबित हुए हैं। कंट्रोल रूम के जरिए लोगों की समस्याओं के समाधान नहीं हो पा रहा है।
अग्रिम संगठन संगठन ना तो शिकायतकर्ताओं को जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध करवा पा रहे हैं और न ही अस्पतालों में ऑक्सीजन और बैड दिलवा पा रहे हैं । हालांकि कंट्रोल रूम की शुरुआत में लोगों की हर संभव मदद मदद के प्रयास किए गए थे लेकिन यह प्रयास भी नाकाफी साबित हुए, जिसके बाद अग्रिम संगठनों के कंट्रोल रूम भी अब लोगों को मुख्यमंत्री हेल्प लाइन नंबर पर कॉल करने की नसीहत दे रहे हैं। अग्रिम संगठनों से जुड़े नेताओं ने भी इस बात की पुष्ट की है।
भोजन वितरित करने तक सीमित हुए अग्रिम संगठन
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के अग्रिम संगठन अब केवल लोगों को निःशुल्क भोजन वितरित करने तक ही सीमित हो गए हैं। एनएसयूआई, युवा कांग्रेस और सेवादल की ओर से लोगों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध करवाने के लिए जनता रसोई चलाई जा रही है वहां से खाने के पैकेट बनाकर कोविड-19 सेंटर्स, अस्पतालों और अन्य जगह पर जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं।
पीसीसी कंट्रोल रूम का भी यही हाल
वहीं दूसरी और प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में संचालित कंट्रोल रूम का भी यही हाल है। कंट्रोल रूम में आ रही शिकायतों के निस्तारण में पीसीसी कंट्रोल रूम महज औपचारिकता ही निभा रहा है। कंट्रोल रूम के जरिए अधिकांश शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।
कंट्रोल रूम में तैनात नेता पूर्व में इस बात को स्वीकार भी कर चुके हैं कि कंट्रोल रूम के जरिए ज्यादातर शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। कंट्रोल रूम में भी जीवम रक्षक दवाईयां, ऑक्सीजन और अस्पतालों बैड दिलाने की मांगें ज्यादा आ रही हैं जिनका निस्तारण नहीं हो पा रहा है।