scriptराजस्थान-छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस सरकार, फिर भी कोयला मामले में आमने-सामने | Congress government in both Rajasthan-Chhattisgarh, yet face to face i | Patrika News

राजस्थान-छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस सरकार, फिर भी कोयला मामले में आमने-सामने

locationजयपुरPublished: Nov 24, 2021 11:29:17 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

खदान में नवम्बर तक का ही कोयला

energy

राजस्थान-छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस सरकार, फिर भी कोयला मामले में आमने-सामने,राजस्थान-छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस सरकार, फिर भी कोयला मामले में आमने-सामने


जयपुर। राजस्थान को छत्तीसगढ़ में आवंटित मौजूदा कोयला खदान में नवम्बर तक का ही कोयला बचा है। ऐसे में केन्द्र सरकार ने वहां परसा कोल ब्लॉक में 5 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष और केंटे एक्सटेंशन कोल ब्लॉक में 9 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष क्षमता के लिए अतिरिक्त खदान का आवंटन किया है, लेकिन दोनों ही मामलों में छत्तीसगढ़ सरकार स्वीकृति प्रक्रिया में देरी कर रही है। इससे राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच आमने-सामने स्थिति बन गई है। यह स्थिति तब है जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दो बार चिठ्ठी लिखी है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस सरकार ही है।
दरअसल, कोल ब्लॉक परसा से माइनिंग की केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने तो क्लीयरेंस दे दी, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार स्तर पर अंतिम स्वीकृति अटकी हुई है। ऐसे में राजस्थान अपनी ही कोयला खान से माइनिंग नहीं कर पा रहा है। सूत्रों के मुताबिक कोल ब्लॉक की जमीन छत्तीसगढ़ के वन विभाग क्षेत्र में आती है। आदिवासी क्षेत्र में कुछ स्थानीय नेताओं और लोग इसका विरोध कर रहे हैं। वोट बैंक को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रही है।

1- परसा कोल ब्लॉक (5 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष) का आवंटन हसदेव-अरंद कोलफील्ड क्षेत्र में हुआ था। इसकी दूसरे चरण की वन स्वीकृति के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 31 अक्टूबर को जारी कर दी। इस कोल ब्लॉक खनन शुरू करने के लिए छत्तीसगढ़ प्रशासन स्तर पर कई स्वीकृति बाकी है। इसमें वन स्वीकृति, संभागीय वन अधिकारी स्तर पर वृक्ष गणना, जिलाधिकारी सरगुजा एवं सूरजपुर द्वारा सम्पत्ति सत्यापन व प्रमाणन और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण बोर्ड से संचालन के लिए सहमति की जरूरत है।
2- इसके अलावा केंटे एक्सटेंशन कोल ब्लॉक (9 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष) का आवंटन हुआ था। इसके पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए जिला अधिकारी स्तर पर जनसुनवाई दो बार स्थगित कर दी गई। जनसुनवाई नहीं हो रही।
इसलिए भी परेशान सरकार
पिछले दिनों कोयला संकट के दौर में मुख्यमंत्री गहलोत ने केन्द्र में उच्च स्तर पर बातचीत की। इसके बाद उर्जा सचिव कुछ दिन तक दिल्ली में ही डेरा जमाए बैठे रहे। इसके बाद अतिरिक्त खदान के लिए वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से क्लीरियेंस मिली। अब गेंद छत्तीसगढ़ सरकार के पाले में है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो