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बदले राजनीतिक हालातों के बाद महापौर के सीधे चुनाव से कतरा रही कांग्रेस सरकार

locationजयपुरPublished: Sep 19, 2019 07:39:15 pm

Submitted by:

firoz shaifi

प्रदेश कांग्रेस की बैठक में भी उठा महापौर का चुनाव सीधे नहीं कराने का मुद्दा , मुख्यमंत्री बोले, इसे लेकर कई नेताओं ने दिए हैं सुझाव , सीधे चुनाव के लिए कांग्रेस ने सरकार बनते ही किया था एक्ट में संशोधन, अब प्रत्यक्ष चुनाव के लिए फिर करना पड़ सकता है एक्ट में संशोधन

ashok gehlot

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जयपुर। विधानसभा चुनाव में महापौर और नगर परिषद चेयरमैन के चुनाव सीधे कराए जाने के अपने घोषणा पत्र में किए दए वादे को पूरा करते हुए कांग्रेस ने सरकार बनते ही महापौर और नगर परिषद चेयरमैन के चुनाव सीधे कराने के लिए एक्ट में संशोधन तो कर दिया था, लेकिन अब सीधा चुनाव कांग्रेस के लिए गलफांस बन गया है।
सत्तारूढ़ कांग्रेस राज्य में महापौर और चेयरमैन के चुनाव सीधे कराने से कतरा रही है। सूत्रों की माने तो पिछले एक सप्ताह से सत्ता के गलियारों में महापौर और चेयरमैन के चुनाव प्रत्यक्ष की बजाए अप्रत्यक्ष तौर पर कराई जाने की चर्चाएं चल रही थी।
वहीं बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित हुई प्रदेश कांग्रेस की बैठक में भी पदाधिकारियों ने निकाय चुनाव में दोनों पदों पर सीधे चुनाव नहीं कराने का मुद्दा उठाया।सूत्रों की माने तो बैठक में प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष रफीक मण्डेलिया ने ये मुद्दा उठाते हुए कहा कि अगर सीधे चुनाव करवाए जाते हैं तो इसका नुकसान पार्टी को हो सकता है, क्योंकि भाजपा इन चुनावों को धारा 370 के नाम पर लड़ेगी और सीधे चुनावों में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है।
वहीं इस बात पर खूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी बैठक में नेताओं को कहा कि इस तरह का सूझाव कई नेताओं की और से पहले भी उनके पास आया है और सबके साथ विचार करने के बाद इस पर अतिंम निर्णय लिया जाएगा।

2009 में निकली थी पहले महापौर की लॉटरी
दरअसल साल 2009 में जब सीधे चुनाव हुए थे उस समय पहले लॉटरी महापौर की निकली थी तो वहीं इस बार पहले पार्षदों की लॉटरी निकाली गई है ऐसे में साफ है कि सरकार पहले से इस बात को लेकर चर्चा कर रही है कि ज्यादा नुकसान ना हो इससे बचने के लिए अप्रत्यक्ष तौर चुनाव कराया जाए।
हालांकी इसके लिए सरकार को अपने ही मैनिफेस्टों के अनुसार बदले गये एक्ट में फिर बदलाव करना होगा और फिर से अप्रत्यक्ष चुनाव के लिए नियम बदलने होंगे जिससे सरकार की किरकिरी भी हो सकती है।
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