उधर, राजस्थान में ‘अकबर’ ( Akbar ) के बाद अब ‘सावरकर’ ( Vinayak Damodar Savarkar ) को लेकर Ashok Gehlot सरकार और BJP के बीच विवाद गहरा गया है। स्कूली पाठ्यक्रम में सावरकर के पाठ में बदलाव के बाद दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलों के साथ आमने-सामने हो गए हैं। नेताओं के बीच बयानबाज़ियों का सिलसिला परवान चढ़ने लगा है। कांग्रेस जहां इस बदलाव को सही बता रही है। वहीं भाजपा, इस बदलाव को हिंदुत्व से जुड़े क्रांतिकारियों का अपमान बता रही है।
शिक्षाविदें के पास बदलाव के प्रमाण मौजूद
शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि पिछली सरकार ने पाठ्यक्रम में इस प्रकार का बदलाव किया। आजादी के समय में जिनका कोई योगदान कम था, वीर सावरकर जैसे लोगों को महिमामंडि़त कर दिखाया गया। समीक्षा की। बड़े ही ठोस आधारों पर वर्णन किया। जिन शिक्षाविदें ने यह पाठ लिखा है, उसके प्रमाण-साक्ष्य शिक्षाविदें के पास मौजूद हैं। उन्होंने सोच-समझकर ही लिखा है। इसीलिए यह कहना कि हमने सावरकर का अपमान किया, यह सरासर गलत है। आरएएस ने अपनी सोच के अनुसार पाठ्यक्रम में बदलाव किया था। शिक्षा में बच्चों को जो पढ़ाया जाए, जो सही हो वही पढ़ाया जाए।
हिंदुत्व विरोधी मानसिकता
पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि कांग्रेस हिंदुत्व विरोधी मानसिकता की पार्टी है। ऐसे राष्ट्रभक्त की उपेक्षा करती है, जो हिंदुत्व से जुड़े रहे हैं। अब पाठ्यक्रम में बदलाव कर वीर सावरकर के बारे में अनर्गल इतिहास पढ़ा रही है। यह कार्य निंदनीय व अशोभनीय है। वीर सावरकर को दो बार आजीवन कारावास मिला वे अंग्रेजों से लड़ते रहे। उनके पाठ को सही प्रकार से बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए।