बागियों पर पर कार्रवाई की जाए या नहीं है, इसे लेकर कांग्रेस नेता असमंजस में हैं और पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं की माने तो पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की ओर से बागियों पर कार्रवाई की जाने की संभावनाएं कम ही हैं।
प्रदेश कार्यकारिणी के कई नेताओं ने भी इसके संकेत दिए हैं। कांग्रेस हलकों में चर्चा इस बात की है जब पूर्व में हुए तीन चुनावों में ही पार्टी ने बागियों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है तो फिर इन चुनावों में कार्रवाई किस प्रकार कर पाएंगे।
पार्टी के विश्वस्तों की माने तो बागियों पर कार्रवाई नहीं करने के पीछे एक वजह ये भी है कि अगर कांग्रेस को निकायों में बहुमत नहीं मिल पाता है तो वे निर्दलीय और कांग्रेस के बागियों के साथ जोड़तोड़ कर निकायों में बोर्ड बनाने का प्रयास करेगी। बीते 50 निकायों में भी कई जगह कांग्रेस ने बोर्ड बनाने के लिए निर्दलीय और बागियों का सहारा लिया था।
प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ी
वहीं बागियों के चुनाव मैदान में डटे रहने से सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों को ही करना पड़ेगा। बागी कांग्रेस प्रत्याशियों के वोट बैंक में सेंध लगाने के साथ ही उन्हें चुनाव में कड़ी चुनौती भी पेश करेंगे। पूर्व में हुए तीन चुनावों में भी कांग्रेस प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था। प्रत्याशियों की हार की सबसे ब़डी वजह कांग्रेस के बागी ही थे।
कंट्रोल रूम हुआ स्थापित
दूसरी ओर निकाय चुनावों को लेकर प्रदेश कांग्रेस में 24 घंटे का कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। पीसीसी मुख्यालय में डेढ़ दर्जन नेताओं को कंट्रोल रूम में तैनात किया गया है। कंट्रोल रूम में निकाय चुनावों के प्रबंधन के साथ ही चुनावी रणनीतियां भी तैयार होंगी।