सूत्रों की माने तो कांग्रेस आलाकमान ने वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे और पहली बार चुनकर आए विधायक वेद प्रकाश सोलंकी की बयानबाजी को लेकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन से रिपोर्ट मांगी है। बताया जाता है कि सत्ता और संगठन पर कोरोना काल में असंतुष्ट विधायकों की ओर से बनाए जा रहे हैं राजनीतिक दबाव से आलाकमान बेहद नाराज हैं।
दबाव की राजनीति का मामला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तक भी पहुंच गया है। सूत्रों की माने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी प्रेशर पॉलिटिक्स से खासे नाराज हैं और उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को बुलाकर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। साथ ही उन्होंने इस मामले में प्रदेश प्रभारी अजय माकन को भी हस्तक्षेप करने को कहा है, जिसके बाद वेणुगोपाल ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है।
इसलिए नाराज है कांग्रेस आलाकमान
विश्वस्तों की माने तो कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह है कि अपनी बात रखने और मांगे मनवाने के लिए यह समय उचित नहीं है, वह भी ऐसे समय में जब सरकार दिन रात महामारी से लड़ रही है और लोगों की जान बचाने में जुटी हुई है। ऐसे समय में इस तरह के कदम उठाना पार्टी नियमों के खिलाफ है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि असंतुष्ट विधायकों को सार्वजनिक मंचों और मीडिया में बयानबाजी करने की बजाए अपनी बात पार्टी के आला नेताओं के समक्ष रखनी चाहिए।
डोटासरा से रिपोर्ट लेंगे माकन
कहा जा रहा है कि आलाकमान के निर्देश के बाद प्रदेश प्रभारी अजय माकन इस पूरे मामले में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा से रिपोर्ट लेंगे और उसके बाद अपने रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंपेंगे।
असंतुष्ट विधायकों को किया जा सकता है दिल्ली तलब
सूत्रों की माने तो सरकार में अपने काम का नहीं होने से नाराज होकर असंतुष्ट रुख अख्तियार कर चुके विधायकों को दिल्ली तलब किया जा सकता है, जहां उनसे उनकी बात सुनने के साथ ही उन्हें बयानबाजी नहीं करने की नसीहत भी दी जा सकती है।
इसलिए हो रही है प्रेशर पॉलिटिक्स
दऱअसल प्रदेश में बीते साल आए सियासी संकट के दौरान पार्टी के बगावत कर मानेसर में कैंप करने वाले सचिन पायलट कैंप के नेताओं की मांगों पर विचार करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी, कमेटी बनने के बाद पायलट कैंप में उम्मीद जगी थी कि उनकी मांगों का जल्द निस्तारण होगा, लेकिन कमेटी के एक सदस्य अहमद पटेल के देहांत के बाद से ही कमेटी का कामकाज आगे नहीं बढ़ पाया।
वहीं अब प्रेशर पॉलिटिक्स की एक वजह मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर भी है। मंत्रिमंडल विस्तार-फेरबदल और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर कई बार पार्टी का एक धड़ा मांग उठा चुका है। पार्टी के एक धड़े का कहना है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने में मेहनत करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियां देने के साथ मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार भी होना चाहिए जिससे कि और लोगों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सके। मंत्रिमंडल में अभी 9 स्थान खाली है जिसके चलते पार्टी का एक धड़ा लगातार सत्ता और संगठन पर दबाव के तहत अपनी मांगें मनवाने में लगा है।