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अजमेर संभाग की कांग्रेस में  भी गुटबाजी हावी, यहां  धड़ों में बंटे  हैं नेता

locationजयपुरPublished: Sep 09, 2020 10:06:14 am

Submitted by:

firoz shaifi

आज अजमेर संभाग के नेताओं से फीडबैक लेंगे अजय माकन, अजमेर शहर ,अजमेर देहात,भीलवाड़ा , नागौर और टोंक जिले का फीडैबक, गहलोत, पायलट के अलावा मिर्धा परिवार से जुड़े हैं नेता, फीडबैक के दौरान माकन के सामने बाहर आ सकती है गुटबाजी

ashok gehlot

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फिरोज सैफी/जयपुर।

कांग्रेस नेताओं से सरकार के कामकाज की जमीनी हकीकत जानने औऱ उनके गिले शिकवे सुनने के लिए प्रदेश के नए कांग्रेस प्रभारी अजय माकन की ओर से शुरू किए गए संभागवार फीडबैक कार्यक्रम के तहत अजय माकन आज पहली बार अजमेर संभाग के नेताओं से जिलेवार मुलाकात कर जमीनी हकीकत जानेंगे।

अजमेर संभाग के अजमेर शहर ,अजमेर देहात,भीलवाड़ा , नागौर और टोंक जिले की बैठकें लेंगे । आज सुबह 11 बजे अजमेर के मेरवाड़ा में होटल बैठकों का दौर शुरु होगा। बसे पहले अजमेर शहर की बैठक का फीडबैक 11 बजे, अजमेर देहात का फीडबैक 12 बजे, भीलवाड़ा का फीडबैक 12:45 बजे, नागौर का फीडबैक 3 बजे और टोंक का फीडबैक कार्यक्रम शाम 4 बजे होगा।

संभाग फीडबैक बैठकों में जिलेवार विधायक, पूर्व सांसद , राज्यसभा सांसद ,पूर्व सांसद निकाय प्रमुख -जिला प्रमुख ( वर्तमान या पूर्व), बीते चुनाव में रहे कांग्रेस प्रत्याशी, जिला अध्यक्षों को बुलाया गया है। हर जिले से 50 लोगों की लिस्ट बनाई गई है।


यहां भी धड़ों में बंटी कांग्रेस
राजस्थान के दूसरे हिस्सों की तरह अजमेर संभाग में भी कांग्रेस धडों में बंटी हुई है। अजमेर शहर और अजमेर देहात गहलोत-पायलट कैंप में बंटा हुआ है। भीलवाड़ा में गहलोत, सीपी जोशी और धीरज गुर्जर का गुट है। नागौर में गहलोत-पायलट गुट के साथ मिर्धा परिवार का अपना वर्चेस्व है। वहीं टोंक जिला भी गहलोत-पायलट गुट में बंटा हुआ है। ऐसे में आज फीडबैक कार्यक्रमों के दौरान प्रदेश प्रभारी अजय माकन को नेताओं का गुटबाजी का सामना करना पड़ सकता है। धड़ों में बंटी कांग्रेस को एकजुट करना प्रदेश प्रभारी अजय माकन के लिए आसान काम नहीं होगा।

 

अजमेर संभाग में कांग्रेस किस तरह से धड़ों में बंटी है, इसे जिलेवार समझते हैं। बात करते हैं सबसे पहले अजमेर शहर की, फीडबैक की शुरुआत यहीं से होनी है।

अजमेर शहर कांग्रेस
जयपुर की राजनीति के बाद सबसे ज्यादा नजर अजमेर की सियासत पर होती है। यहां भी शहर कांग्रेस दो धड़ो में बंटी हुई है। हालांकि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट यहां से सांसद रहते हुए केंद्र में मंत्री रह चुके हैं।

पायलट के पीसीसी चीफ रहते हुए यहां संगठन में पायलट कैंप के लोगों का ही वर्चेस्व था, लेकिन हालात बदलने के बाद यहां फिर से बाजी गहलोत कैंप के नेताओं के पास आ गई है। महेंद्र रलावता, हेमंत भाटी, कमल बाकोलिया यहां पायलट कैंप के प्रमुख नेता हैं।यहां शहर कांग्रेस अध्यक्ष भी सचिन पायलट गुट के हैं। तो वहीं पूर्व विधायक गोपाल बाहेती और पूर्व विधायक हाजी क्य्यूम गहलोत कैंप के मजबूत क्षत्रप हैं।

 

अजमेर देहात कांग्रेस
अजमेर देहात कांग्रेस की राजनीति इन दिनों दो धड़ों में बंटी हुई है। यहां गहलोत-पायलट ज्यादा हावी है। यहां गहलोत गुट के प्रमुख सिपहसालार हैं रघु शर्मा जो कि अजमेर से सांसद भी रह चुके हैं और अब राज्य के चिकित्सा मंत्री हैं। इसके अलावा रामचंद्र चौधरी ,नाथूराम सिनोदिया , महेन्द्र सिंह भी गहलोत कैंप के माने जाते है।

वहीं पायलट कैंप के सबसे मजबूत रणनीतिकार मसूदा विधायक राकेश पारीक हैं जो पायलट के साथ पार्टी से बगावत कर मानेसर कैंप में चले गए थे इसके अलावा पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ , रामनारायण गुर्जर ,नंदा राम ,संग्राम सिंह गुर्जर भी पायलट कैंप के माने जाते हैं।

 

भीलवाड़ा कांग्रेस
भीलवाड़ा कांग्रेस की सियासत पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के इर्द-गिर्द ही रहती थी, लेकिन अब यहां भी कई धड़े हैं। हालांकि यहां सबसे मजबूत धड़ा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी का है। जोशी भीलवाड़ा से सांसद रहते हुए केंद्र में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। रामलाल जाट ,कैलाश त्रिवेदी और रामपाल शर्मा जोशी गुट के प्रमुख नेता हैं।

हालांकि इन नेताओं की गहलोत गुट से भी नजदीकी है। वहीं गहलोत गुट के यहां सबसे प्रमुख नेता अशोक चांदना हैं, जो खेल मंत्री भी हैं और भीलवाड़ा से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि यहां पूर्व विधायक धीरज गुर्जर को पायलट कैंप का नेता माना जाता था, लेकिन कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति में सचिव बनने के बाद से धीरज गुर्जर अपनी अलग राजनीति कर रहे हैं।

नागौर कांग्रेस
शेखावाटी की तरह ही नागौर जिले को जाट राजनीति के तौर पर जाना जाता है। यहां नाथूराम मिर्धा, राम निवास मिर्धा जैसे दिग्गज नेता हुए हैं, जिन्होंने राज्य के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में अपनी अलग छाप छोड़ी। लंबे समय तक यहां मिर्धा परिवार का ही वर्चेस्व रहा है।

नाथूराम मिर्धा परिवार से रिछपाल मिर्धा और ज्योति मिर्धा हैं तो रामनिवास मिर्धा परिवार से हरेंद्र मिर्धा और राघवेंद्र मिर्धा हैं। हालांकि यहां अब यहां नेता गहलोत-पायलट गुट में बंट चुके हैं। रिछपाल मिर्धा को पायलट समर्थक माना जाता है तो हरेंद्र मिर्धा गहलोत के कट्टर समर्थक हैं। परबतसर विधायक रामनिवास गावडिया , लाडनूं विधायक मुकेश भाकर पायलट कैंप के मजबूत सिपहसालार हैं पार्टी से बगावत करने वाले 19 विधायको में ये दोनो विधायक भी थे। वहीं विजय पाल मिर्धा, डीडवाना विधायक चेतन डूडी, नावां विधायक महेंद्र चौधरी और जाकिर हुसैन गैसावत गहलोत समर्थक हैं।


टोंक कांग्रेस
टोंक से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भले ही विधायक हों, लेकिन टोंक की राजनीति में गहलोत गुट का पलड़ा भारी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा, पूर्व विधायक जकिया, पूर्व जिला प्रमुख रामविलास चौधरी, और निवाई विधायक प्रशांत बैरवा यहां गहलोत कैंप के प्रमुख नेता माने जाते हैं। तो वहीं देवली उनियारा विधायक और राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक हरीश मीणा यहां पायलट कैंप के प्रमुख रणनीतिकार हैं। इसके अलावा सऊद सईदी और डॉ विक्रम सिंह गुर्जर को पायलट समर्थक कहा जाता है।

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