जयपुर

नागरिकता संशोधन विधेयक पर कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना में टकराव की आशंका

नागरिकता संशोधन विधेयक Citizenship Amendment Bill को लेकर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन) में मतभेद नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि शिवसेना ने जहां इस विधेयक का समर्थन करने के लिए संकेत दिए हैं, वहीं इस गठबंधन में शामिल अन्य दलों से उसके मतभेद नजर आ रहे हैं।

जयपुरDec 05, 2019 / 05:33 pm

Prakash Kumawat

नागरिकता संशोधन विधेयक पर कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना में टकराव की आशंका

जयपुर
नागरिकता संशोधन विधेयक Citizenship Amendment Billको लेकर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन) में मतभेद नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि शिवसेना ने जहां इस विधेयक का समर्थन करने के लिए संकेत दिए हैं, वहीं इस गठबंधन में शामिल अन्य दलों से उसके मतभेद नजर आ रहे हैं।
बता दें कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार 9 दिसंबर को इस विधेयक को लोकसभा में चर्चा के लिए पेश करेगी। इस नागरिकता संशोधन विधेयक Citizenship Amendment Billमें नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों के लिए नागरिकता के नियमों को आसान बनाने के बिन्दुओं का उल्लेख है।
इस विधेयक को लेकर कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना गठबंधन में मतभेद इसलिए नजर आ रहे हैं क्योंकि कांग्रेस ने कहा है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम में यह तय किया गया था कि राष्ट्रीय मुद्दों जैसे नागरिकता संशोधन विधेयक Citizenship Amendment Billपर आम सहमति के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा। लेकिन शिवसेना ने जिस तरह से इस विधेयक का समर्थन के करने के संकेत दिए है उससे बात बिगड़ने की आशंका नजर आ रही है। सूत्रों के अनुसार इस मामले को लेकर कांग्रेस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात करेगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि शिवसेना इस मामले में सदा भाजपा के साथ रही है, उसने संकेत भी दिए हैं कि इस विधेयक पर शिवसेना मोदी सरकार का विरोध नहीं करेगी। इसके चलते महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी में मतभेद नजर आ रहे हैं। एनसीपी और कांग्रेस दोनों ही इस विधेयक का विरोध कर रही है।
बता दें कि वर्तमान में किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य है। इस संशोधन के जरिए सरकार नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर छह साल करना चाहती है।
अगर यह विधेयक पास हो जाता है तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे।

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