बीते माह राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान अकेले राजस्थान कांग्रेस ने ही करीब 1 सप्ताह तक जिला-ब्लॉक और प्रदेश लेवल पर आंदोलन किए थे तो वहीं अब सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में कांग्रेस ने 21, 23 और 24 जुलाई को राजस्थान में 3 दिन में प्रदर्शन कर दिए।
हालांकि इन प्रदर्शनों में भले ही कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता पार्टी के साथ खड़े हों लेकिन आम जनता का ईडी के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है। यही वजह है कि ईडी के खिलाफ लगातार प्रदर्शनों के बावजूद जनता इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ खड़ी दिखती नजर नहीं आ रही।
जनता का भी नहीं मिल रहा रिस्पॉन्स
दरअसल कांग्रेस के सियासी गलियारों में भी इस बात की चर्चा है कि कांग्रेस को ईडी के विरोध में जनता का अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिल पा रहा है। जनता के बीच का फीडबैक भी लगातार पीसीसी मुख्यालय और पार्टी थिंक टैंक तक पहुंचा है, जिसमें ईडी के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों से जनता भी खुश नहीं है।
कार्यकर्ताओं के द्वारा कांग्रेस थिंक टैंक को मिले फीडबैक के मुताबिक आमजन का मानना है कि ईडी की बजाए जनता से जुड़े महंगाई- बेरोजगारी और खाद्य पदार्थों में जीएसटी के विरोध में कांग्रेस को खुलकर सड़कों पर आना चाहिए था लेकिन कांग्रेसी पार्टी ऐसा नहीं करके केवल अपने नेताओं के समर्थन में ही धरने प्रदर्शन कर रहे हैं।
खाद्य पदार्थों जीएसटी के विरोध में भी नहीं हुए प्रदर्शन
कांग्रेस के सियासी गलियारों में भी चर्चा इस बात की है कि पार्टी नेताओं को खाद्य पदार्थों आटा- चावल, दूध- छाछ और अन्य खाद्य पदार्थों में 5 फ़ीसदी जीएसटी लगाने के विरोध में देश भर में बड़े प्रदर्शन करने चाहिए थे लेकिन न तो देश के अन्य हिस्सों में कांग्रेस ने प्रदर्शन किए और न ही राजस्थान में भी कोई प्रदेश स्तरीय धरना प्रदर्शन किए गए।
हालांकि कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने अपने स्तर पर जयपुर में जीएसटी का विरोध करके खानापूर्ति कर ली लेकिन प्रदेश कांग्रेस के अन्य नेताओं की ओर से कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किए गए जबकि यह आम जनता से जुड़े मुद्दे हैं।
महंगाई-बेरोजगारी पर विरोध प्रदर्शनों से भी दूरी
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इन दिनों देश के सबसे बड़े ज्वलंत मुद्दे महंगाई और बेरोजगारी से भी दूरी बना रखी है। केवल बयान जारी करके ही खानापूर्ति की जा रही है जबकि महंगाई और बेरोजगारी से आज आमजन त्रस्त है।
पार्टी कार्यकर्ताओं का भी मानना है कि अगर महंगाई और बेरोजगारी पर लगातार विरोध प्रदर्शनों के जरिए केंद्र सरकार को घेरा जाए तो इन मुद्दों पर जनता का साथ पार्टी को मिल सकता है और इसका फायदा आने वाले विधानसभा चुनावों में भी मिल सकता है लेकिन महंगाई और बेरोजगारी से बड़े मुद्दों पर भी धरने प्रदर्शनों को लेकर कोई रणनीति पार्टी में नहीं बन रही है। महंगाई और बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दों से दूरी बनाने पर भी पार्टी को लेकर जनता में नाराजगी है।