पार्टी के कई विधायक और मंत्री भी रैली के पक्ष में नहीं
हालांकि 12 दिसंबर को होने वाली कांग्रेस की राष्ट्रव्यापी रैली को लेकर भले ही युद्धस्तर पर तैयारी चल रही हो लेकिन पार्टी के अंदर ही कई विधायक और मंत्री भी महारैली के पक्ष में नहीं है। मंत्रियों और विधायकों में भी अंदरखाने यही चर्चा है कि इतनी तादाद में भीड़ एकत्रित करने सही नहीं है, आलाकमान को चाहिए था कि वे राष्ट्रव्यापी रैली की बजाए सभी राज्यों को अपनी-अपनी राजधानियों में रैली की इजाजत देते।
पूर्व मेयर ने की है रैली स्थगित करने की अपील
इधर जयपुर की पूर्व मेयर और लोकसभा प्रत्याशी रही ज्योति खंडेलवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कोरोना महामारी को देखते हुए रैली को स्थगित करने की मांग की है। हालांकि ज्योति खंडेलवाल स्वयं मंच व्यवस्था समिति की सदस्य हैं। ज्योति खंडेलवाल की अपील का कांग्रेस में कई नेताओं ने अंदरखाने समर्थन तो किया है लेकिन समर्थन के लिए खुलकर सामने नहीं आ रहा है।
दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों से डर
दरअसल कांग्रेस के नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं की सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि रैली में देश के अलग-अलग राज्यों से लोग आ रहे हैं और सबसे बड़ी चिंता देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले लोगों से है। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं का मानना है कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों से कोरोना संक्रमण फैल सकता है।
इसके साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इस बात का भी डर है कि रैली में 2 लाख लोगों की भीड़ अगर इकट्ठा होती है तो फिर राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के कई जिलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि हो सकती है।
हालांकि प्रदेश प्रभारी अजय माकन की ओर से रैली में आने वाले लोगों को कोविड की दोनो डोज का सर्टिफिकेट और एनटीपीसीआर रिपोर्ट साथ लाने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं में इस बात की भी चर्चा है कि इतनी बड़ी तादाद में आने वाले लोगों की एनटीपीसीआर की रिपोर्ट और कोविड वैक्सीनेशन के के सर्टिफिकेट की जांच कौन करेगा?
गौरतलब है कि 12 दिसंबर को विद्याधर नगर में होने वाली कांग्रेस की राष्ट्रव्यापी रैली में 2 लाख लोगों की भीड़ एकत्रित करने का टारगेट रखा गया है। अकेले राजस्थान से रैली में डेढ़ लाख लोगों की भीड़ को जुटाने का टारगेट मंत्री-विधायकों और पार्टी नेताओं को दिया गया है।