अल्पसंख्यक सीटों में कटौती की कवायद
जानकारों की माने तो कांग्रेस अपनी बदली हुई छवि और सॉफ्ट हिंदुत्व के फॉर्मूले के तहत इस साल के आखिर में होने जा रहे विधानसभा चुनावों अल्पसंख्यक, खासकर मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व में कटौती कर उनकी जगह दूसरे समाजों को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी में है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व वाली कई सीटों पर अन्य समाजों के लोग शिद्दत साथ दावेदारी ठोक रहे हैं।
जानकारों की माने तो कांग्रेस अपनी बदली हुई छवि और सॉफ्ट हिंदुत्व के फॉर्मूले के तहत इस साल के आखिर में होने जा रहे विधानसभा चुनावों अल्पसंख्यक, खासकर मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व में कटौती कर उनकी जगह दूसरे समाजों को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी में है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व वाली कई सीटों पर अन्य समाजों के लोग शिद्दत साथ दावेदारी ठोक रहे हैं।
16 की बजाए 9 सीटें अल्पसंख्यकों को!
कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि पार्टी अपनी बदली हुई रणनीति के तहत इस बार केवल 9 ही सीटें अल्पसंख्यकों को दे सकती है, जबकि 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में 16 और 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अल्पसंख्यक वर्ग को 17 सीटें दी थीं। हालांकि ये और बात है कि बीते विधानसभा चुनाव में सभी 16 प्रत्याशियों को प्रचंड मोदी लहर के चलते हार का सामना करना पड़ा था। सीटें कम करने की चल रही कवायद को सभी 16 सीटों पर हुई हार से जोड़कर देखा जा रहा है।
55 सीटों पर निर्णायक हैं अल्पसंख्यक
बताया जाता है कि अल्पसंख्यक वर्ग की आबादी राज्य में 12 फीसदी है, जिससे के चलते वो प्रदेश की 55 सीटों पर निर्णायक भूमिका में है। अकेले राजधानी जयपुर की किशनपोल, आदर्श नगर और हवामहल ऐसी सीटें हैं, जहां तीनों सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या 80 हजार के पार है।
बताया जाता है कि अल्पसंख्यक वर्ग की आबादी राज्य में 12 फीसदी है, जिससे के चलते वो प्रदेश की 55 सीटों पर निर्णायक भूमिका में है। अकेले राजधानी जयपुर की किशनपोल, आदर्श नगर और हवामहल ऐसी सीटें हैं, जहां तीनों सीटों पर अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या 80 हजार के पार है।
इन सीटों पर कटौती की चर्चा पार्टी के जानकार सूत्रों की माने तो अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व वाली जिन सीटों पर कटौती करने की कवायद चल रही है, उनमें फतेहपुर, सूरसागर, तिजारा, किशनपोल, लाड़नू, कोटा दक्षिण और नागौर है। यहां से दूसरे समाजों को प्रतिनिधित्व देने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में चल रही है।
राज्यसभा का भी फॉर्मूला
पार्टी के शीर्ष स्तर पर इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि विधानसभा चुनाव में सीटें कम करके पार्टी अल्पसंख्यक वर्ग की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है, लिहाजा इसके लिए अल्पसंख्यक वर्ग को राज्यसभा सीट देने की भी चर्चा है। सूत्रों की माने तो पार्टी के शीर्ष नेताओं की ओर से अल्पसंख्यक नेताओं को ये मैसेज दिया जाएगा, भले ही विधानसभा चुनाव में सीटों में कटौती की हो, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर एक
सीट अल्पसंख्यक वर्ग को दी जाएगी।
पार्टी के शीर्ष स्तर पर इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि विधानसभा चुनाव में सीटें कम करके पार्टी अल्पसंख्यक वर्ग की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है, लिहाजा इसके लिए अल्पसंख्यक वर्ग को राज्यसभा सीट देने की भी चर्चा है। सूत्रों की माने तो पार्टी के शीर्ष नेताओं की ओर से अल्पसंख्यक नेताओं को ये मैसेज दिया जाएगा, भले ही विधानसभा चुनाव में सीटों में कटौती की हो, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर एक
सीट अल्पसंख्यक वर्ग को दी जाएगी।