अजय माकन ने अभी तक जयपुर और अजमेर संभाग के 11 जिलों के नेताओं के साथ ही फीडबैक बैठकें की हैं। अभी 5 संभागों के 22 जिलों के नेताओं से फीडबैक बैठकें करना बाकी है।
हालांकि शेष बचे पांचों संभागों का फीडबैक कार्यक्रम फिलहाल तय नहीं है क्योंकि प्रदेश प्रभारी अजय माकन की तबीयत नासाज है ऐसे में कांग्रेस कार्यकारिणी घोषित होने का मामला और लंबा खिंच सकता है। इसी बीच अगर सुप्रीम कोर्ट से निकाय चुनाव टालने की सरकार की अर्जी खारिज हो जाती है तो फिर पार्टी को बिना संगठन की निकाय चुनाव में उतरना पड़ेगा।
दिखेगी जोश की कमी
कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं की माने तो बिना प्रदेश कार्यकारिणी, जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा के बगैर ही अगर चुनाव मैदान में जाया जाएगा तो उतनी उर्जा और जोश के साथ नेता और कार्यकर्ता मेहनत नहीं कर पाएंगे जो वे पद पर रहते हुए करते हैं। ऐसे में इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
प्रभारी मंत्रियों की जिम्मेदारी रहेगी अहम
अगर तय तारीखों में ही निकाय चुनाव होते हैं तो इन चुनावों में प्रभारी मंत्रियों की भूमिका अहम होगी। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भी इसके संकेत दिए हैं। डोटासरा का कहना है कि चुनाव प्रदेश कार्यकाऱिणी की घोषणा से पहले होते हैं तो प्रभारी मंत्रियों के नेतृत्व में चुनाव मैदान में जाया जाएगा, साथ ही प्रदेश कांग्रेस की ओर से पर्यवेक्षक भी लगा दिए जाएंगे। कांग्रेस कार्यकर्ता भी जी-जान से जुटेंगे।