इसी बीच नगर निगम, जिला परिषद और पंचायत चुनावों की घोषणा तो हो गई लेकिन कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा नहीं हो पाई। अब ऐसे में साफ है कि नगर निगम के साथ-साथ जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव भी प्रदेश कांग्रेस की नई टीम के बिना ही होंगे।
राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में यह ऐसा पहला मौका है जब प्रदेश में 3 बड़े चुनाव के दौरान प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी ही गठित नहीं हो पाई और बिना कार्यकारिणी के ही चुनाव हो रहे हैं।
कांग्रेस की कार्यकारिणी अभी तक घोषित नहीं किए जाने को लेकर भी कांग्रेस हलकों में चर्चाओं का दौर तेज है। कांग्रेस हलकों में चर्चा इस बात की है कि बिना कार्यकारिणी के पंचायत समितियों और जिला परिषदों के बड़े चुनाव किस तरह से कराए जाएंगे जबकि नगर निगम की तरह ही पंचायत समिति और जिला परिषदों के चुनाव भी पार्टी के सिंबल पर लड़े जाएंगे। प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी कब सामने आएगी इसे लेकर पार्टी के शीर्ष नेता कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।
जिला स्तर से तय होते हैं प्रधान और जिला परिषदों के टिकट
कांग्रेस में पंचायत समिति सदस्यों, प्रधानों और जिला परिषद सदस्यों के टिकट जिला स्तर पर संगठन के नेताओं की रायशुमारी से तय होते हैं। जिला कांग्रेस स्थानीय विधायकों से सलाह से संभावित दावेदारों के नामों मंथन कर नामों का पैनल बनाकर प्रदेश कांग्रेस की ओर से तैनात किए गए पर्यवेक्षकों को सौंपती हैं।
पर्यवेक्षक प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय को पैनल सौंपते हैं जहां इन नामों पर मुहर लगती है। ऐसे में जिला स्तर पर संगठन खड़ा नहीं होने से दावेदारों के चयन का कामकाज भी प्रभावित होगा।
गौरतलब है कि जुलाई माह में पार्टी से बगावत करने के चलते सचिन पायलट को पीसीसी पद से बर्खास्त करते हुए 14 जुलाई को शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने के साथ ही प्रदेश, जिला और ब्लॉक कांग्रेस कार्यकारिणी भंग कर दी गई थी। उसके बाद से प्रदेश कांग्रेस में कोई नई नियुक्ति नहीं हो पाई है।