मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रिपरिषद की बैठक में यह तय हुआ कि 5 जनवरी से मंत्री, विधायक, जनप्रतिनिधि एवं कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा सप्ताहभर तक गांव-गांव जाकर ‘किसान बचाओ-देश बचाओ’ अभियान चलाया जाएगा। ये अभियान काले कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के समर्थन में चलाया जाएगा।
कांग्रेस पार्टी की ओर से तीन जनवरी को इसलिए भी धरना दिया जाएगा कि राज्य में केन्द्रीय कृषि कानूनों को देखते हुए लाए गए तीन संशोधन विधेयक और 5 एकड तक जमीन वाले किसानों की जमीन को कुर्की से बचाने वाले विधेयक को अभी तक आगे नहीं भेजा गया। धरने के जरिए इसका का विरोध जताया जाएगा। मंत्रिपरिषद की बैठक में कोविड, किसानों की बिजली के मुद्दे, बजट की तैयारियों, तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव और आगे की योजना और कार्यक्रमों पर भी चर्चा हुई। साथ ही सभी मंत्रियों से अपने अपने विभागों में दो साल का रिव्यू करके करने के लिए कहा गया। साथ ही यह तय करने के लिए भी कहा गया कि कांग्रेस घोषणा पत्र के कौन कौन से कार्यक्रम उन्हें नए साल में हाथ में लेने है।
गहलोत ने केन्द्र सरकार पर साधा निशाना
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार और किसान के बीच बुधवार को हुई वार्ता को लेकर ट्वीट किया। गहलोत ने कहा किवर्ष 2020 समाप्त होने को है और हम सब नए वर्ष में प्रवेश करने जा रहे हैं। पूरे देश केंद्र सरकार और किसानों के बीच बुधवार को हुई वार्ता को लेकर सकारात्मक परिणाम का इन्तजार था, ताकि किसान अपने घरों को लौट सकें और अपने परिवारजनों के साथ नव वर्ष की खुशियां मना सकें।
लेकिन दुर्भाग्य से सरकार का रुख नर्म नहीं हुआ और नतीजा 4 जनवरी को एक और वार्ता के रूप में सामने आया। गहलोत ने कहा कि यह दुःख की बात है कि आंदोलन कर रहे हमारे किसान भाई-बहन नव वर्ष का स्वागत कड़कड़ाती ठंड में, खुले में, सड़कों पर अपने घरों से दूर करेंगे। गहलोत ने ट्ववीट के जरिए केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक संवेदनशील और जवाबदेह सरकार यह कभी नहीं होने देती।