कार्यकर्ताओं में सरकार को लेकर संशय
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच चल रही सियासी जंग के चलते कार्यकर्ताओं-नेताओं में सरकार को लेकर संशय है कि सरकार बचेगी या फिर रहेगी। अगर सरकार गिरती है कि तो सबसे ज्यादा धक्का उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को लगेगा, जिन्होंने पूरे पांच साल जमकर मेहनत करते हुए सरकार बनाने में योगदान दिया था, जिसके बदले में इनाम के तौर पर ऐसे कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट करने की बात पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कही थी। इसी का इंतजार कार्यकर्ता पिछले डेढ़ साल से कर रहे हैं।
सरकार बची तो नए साल में होंगी राजनीतिक नियुक्तियां
विश्वस्त सूत्रों की माने तो सत्ता संघर्ष को लेकर दो धड़ों के बीच चल रही सियासी लड़ाई के बीच अगर सरकार बचती है तो फिर राजनीतिक नियुक्तियां नए साल में होंगी, इसके लिए कार्यकर्ताओं को अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
लॉबिंग कर रहे नेताओं ने छोड़ी आस
वहीं निगम-बोर्ड, आयोगों में चेयरमैन बनने के लिए करीब डेढ़ साल से जयपुर से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग कर रहे नेताओं ने भी अब राजनीतिक नियुक्तियों की आस छोड़ दी है और इसकी बजाए प्रदेश कांग्रेस की नई बनने वाली कार्यकारिणी में एडजस्ट करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। नेताओं की माने तो सरकार का डेढ साल से ज्यादा का समय बीत चुका है और अभी सरकार बचेगी या फिर नहीं ये भी तय नहीं। अगर सरकार बचती भी तो नए साल से पहले राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होनी है।
राजनीतिक नियुक्तियों पर डेढ़ साल से चल रही खींचतान
दरअसल में कांग्रेस में सत्ता संघर्ष को लेकर चल रही सियासी लड़ाई की एक वजह राजनीतिक नियुक्तियां भी हैं। जबसे सरकार बनी हैं तब से ही अपने-अपने लोगों को प्रमुख बोर्ड, निगमों और आयोगों में एडजस्ट कराने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान चल रही थी, जिसके चलते पूर्व में राजनीतिक नियुक्तियां अटक गई थीं।
इन आयोगों में होनी है नियुक्तियां
राज्य मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, अल्पसंख्यक आय़ोग, एससी-एसटी आयोग, ओबीसी आयोग, वित्त आयोग, किसान आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, निशक्तजन आयोग गो सेवा आयोग।
ये हैं प्रमुख बोर्ड-निगम
राजस्थान पर्यटन विकास निगम, अभाव अभियोग निराकरण समिति, मदरसा बोर्ड, देवस्थान बोर्ड, हज कमेटी, अल्पसंख्यक वित्त निगम, केश कला बोर्ड, माटी कला बोर्ड, घूमंतु अर्द्ध घूमंतु बोर्ड, मेवात विकास बोर्ड, डांग विकास बोर्ड, हाउसिंग बोर्ड, यूआईटी, उपभोक्ता मंच, साहित्य अकादमियां और बीज निगम।