भीष्म पितामह को था इच्छा-मृत्यु का वरदान
महाभारत में वर्णन आता है कि महान योद्धा भीष्म पितामह को इच्छा-मृत्यु का वरदान प्राप्त था। वे बाणों की शैया पर तब तक लेटे रहे, जब तक सूर्य उत्तरायण नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने प्राण त्यागे।
महाभारत में वर्णन आता है कि महान योद्धा भीष्म पितामह को इच्छा-मृत्यु का वरदान प्राप्त था। वे बाणों की शैया पर तब तक लेटे रहे, जब तक सूर्य उत्तरायण नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने प्राण त्यागे।
सीता ने भी अंगीकार की इच्छा-मृत्यु रामायण का अध्ययन करने पर पता चलता है कि माता सीता जी ने भी इच्छा-मृत्यु अंगीकार की थी। वे धरती से प्रकट हुई थीं और उन्होंने धरती की दरार में कूदकर ही अपनी जान भी दे दी थी।
राम लक्ष्मण ने भी ली इच्छा-मृत्यु
श्री राम और लक्ष्मण जी ने अपने मानव जन्म का अर्थ सार्थक करने के बाद इच्छा-मृत्यु ले ली। दोनों ने सरयू नदी में जलसमाधि ली थी। स्वामी विवेकानंद ने भी त्यागे थे खुद के प्राण
इस बात का हालांकि साक्ष्य नहीं मिलता, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानन्द ने भी खुद ही अपने प्राण त्यागे थे। स्वामी ने स्वेच्छा से योगसमाधि की विधि से प्राणों का उत्सर्ग कर दिया था। वहीं पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने भी अपनी मृत्यु की तारीख और समय कई वर्ष पूर्व ही निश्चित कर लिया था।
श्री राम और लक्ष्मण जी ने अपने मानव जन्म का अर्थ सार्थक करने के बाद इच्छा-मृत्यु ले ली। दोनों ने सरयू नदी में जलसमाधि ली थी। स्वामी विवेकानंद ने भी त्यागे थे खुद के प्राण
इस बात का हालांकि साक्ष्य नहीं मिलता, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि स्वामी विवेकानन्द ने भी खुद ही अपने प्राण त्यागे थे। स्वामी ने स्वेच्छा से योगसमाधि की विधि से प्राणों का उत्सर्ग कर दिया था। वहीं पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने भी अपनी मृत्यु की तारीख और समय कई वर्ष पूर्व ही निश्चित कर लिया था।
विनोबा ने किया इच्छा-मृत्यु का वरण आचार्य विनोबा भावे ने भी अपने अंतिम दिनों में इच्छा-मृत्यु का वरण कर लिया था। उन्होंने स्वयं पानी लेने तक का त्याग कर दिया था। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें देखने के लिए भी गईं थीं। उस समय वहां मौजूद पत्रकारों की यह मांग ठुकरा दी गई थी कि भावे जी को अस्पताल में भर्ती कराया जाए।
संथारा भी एक प्रकार की इच्छा-मृत्यु जैन मुनियों और जैन धर्मावलंबियों में संथारा की प्रथा भी इच्छा मृत्यु का ही एक प्रकार है। ये बरसों से चली आ रही पंरपरा है। राजस्थान के जयपुर में दो साल पहले एक महिला विमला देवी के संथारे लेने पर समाज में इस पर लंबी बहस खिंची थी।