अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, भरतपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, गंगापुर सिटी, हिंडोन सिटी, श्रीमाधोपुर, जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, कोटा, सीकर, उदयपुर, बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, माउंटआबू, भवानीमंडी, चौथ का बरवाड़ा, झालावाड़, हनुमानगढ़, सिरोही, बारां, जालोर, पाली, नागौर, शिवाड़, टोंक, दौसा, श्रीगंगानगर।
– सड़कों पर बेतरतीब फैला रहता है
– कई जगह नदी-नालों को पाटा जा रहा है
– जगह-जगह मलबे से लोग, प्ररेशान रहते हैं स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए भी जरुरी
स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए भी शहर के बिल्डिंग मैटेरियल से जुड़े मलबे को दोबारा उपयोग करने पर अंक दिए जाएंगे। ऐसा प्रयोग सबसे पहले इंदौर ने शुरू किया था। अन्य प्रमुख शहरों को भी इसे अपनाना होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसके निस्तारण के आदेश दे रखे हैं।
1. मलबा चिह्रीकरण
शहरों में कहां कहां मलबा निकल रहा है, चिह्रीकरण होगा। जिम्मा संबंधित निकाय देखेंगे। आमजन संबंधित निकाय को बता सकें, इसके लिए फोन, ईमेल व सोशल मीडिया अकाउंट की सुविधा मिलेगी।
मलबा प्लांट तक पहुंचाकर निस्तारण कंपनी कारएगी। इससे बनी ईंट-स्लैब व अन्य सामग्री वही बेचेगी। 3. लोगों को देना पड़ सकता है यूजर चार्ज
मलबा सड़क या खाली जगह डालने पर रोक सख्ती से लागू होगी। अनुबन्धित कम्पनी मलबा उठाकर निस्तारण करेगी तो उसे 390 रूपए प्रति मीट्रिक टन चार्ज देना होगा। घरों से मलबा उठाने के लिए लोगों को यूजर चार्ज नगर निगम लेगा और फिर उसे कंपनी को दिया जाएगा। हालांकि जनता से यूजर चार्ज लेने पर फैसला होना अभी बाकी है।
ईंट, कंक्रीट, स्लैब, अन्य निर्माण सामग्री थ्री-आर कंसेप्ट
रि-यूज, रि-साइकिल, रि-ड्यूज
(मलबा संकलन से लेकर निस्तारण तक की कार्य योजना)