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मलबा निस्तारण की दर तय, जनता पर आ सकता है यूजर चार्ज का भार, मलबे से यह बनेगा

locationजयपुरPublished: Feb 07, 2021 04:30:38 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

राज्य में बड़ी परेशानी बने कंस्ट्रक्शन मलबे के निस्तारण की दिशा में सरकार आखिर एक कदम चली है। मलबा निस्तारण की दर 390 रुपए प्रति मीट्रिक टन तय कर दी है। हालांकि इसमें ही दो साल का वक्त लग गया।

Construction debris disposal rate fixed in rajasthan

राज्य में बड़ी परेशानी बने कंस्ट्रक्शन मलबे के निस्तारण की दिशा में सरकार आखिर एक कदम चली है। मलबा निस्तारण की दर 390 रुपए प्रति मीट्रिक टन तय कर दी है। हालांकि इसमें ही दो साल का वक्त लग गया।

जयपुर। राज्य में बड़ी परेशानी बने कंस्ट्रक्शन मलबे के निस्तारण की दिशा में सरकार आखिर एक कदम चली है। मलबा निस्तारण की दर 390 रुपए प्रति मीट्रिक टन तय कर दी है। हालांकि इसमें ही दो साल का वक्त लग गया। राज्य में इमारतों, सड़कों, ब्रिज से रोजाना 7000 टन कंस्ट्रक्शन मलबा निकल रहा है। निस्तारण का प्रबन्ध नहीं होने से यह बेतरतीब फैलाया जा रहा है। अब 35 शहरों में मलबे को रिसाइकिल (कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलेशन वेस्ट प्रोसेसिंग) कर उपयोगी बनाया जाएगा। इसकी शुरुआत जयपुर से होगी। इसके लिए स्वायत्त शासन विभाग ने लांगड़ियावास में लगने वाले प्लांट के लिए मलबा निस्तारण दर 390 रुपए प्रति मैट्रिक टन तय की है। अब प्लांट निर्माण शुरु होगा।
इन शहरों में होगा काम
अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, भरतपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, गंगापुर सिटी, हिंडोन सिटी, श्रीमाधोपुर, जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, कोटा, सीकर, उदयपुर, बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, माउंटआबू, भवानीमंडी, चौथ का बरवाड़ा, झालावाड़, हनुमानगढ़, सिरोही, बारां, जालोर, पाली, नागौर, शिवाड़, टोंक, दौसा, श्रीगंगानगर।
मलबे से यह परेशानी
– सड़कों पर बेतरतीब फैला रहता है
– कई जगह नदी-नालों को पाटा जा रहा है
– जगह-जगह मलबे से लोग, प्ररेशान रहते हैं

स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए भी जरुरी
स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए भी शहर के बिल्डिंग मैटेरियल से जुड़े मलबे को दोबारा उपयोग करने पर अंक दिए जाएंगे। ऐसा प्रयोग सबसे पहले इंदौर ने शुरू किया था। अन्य प्रमुख शहरों को भी इसे अपनाना होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसके निस्तारण के आदेश दे रखे हैं।
प्रोसेसिंग की 03 लेयर
1. मलबा चिह्रीकरण
शहरों में कहां कहां मलबा निकल रहा है, चिह्रीकरण होगा। जिम्मा संबंधित निकाय देखेंगे। आमजन संबंधित निकाय को बता सकें, इसके लिए फोन, ईमेल व सोशल मीडिया अकाउंट की सुविधा मिलेगी।
2. निस्तारण
मलबा प्लांट तक पहुंचाकर निस्तारण कंपनी कारएगी। इससे बनी ईंट-स्लैब व अन्य सामग्री वही बेचेगी।

3. लोगों को देना पड़ सकता है यूजर चार्ज
मलबा सड़क या खाली जगह डालने पर रोक सख्ती से लागू होगी। अनुबन्धित कम्पनी मलबा उठाकर निस्तारण करेगी तो उसे 390 रूपए प्रति मीट्रिक टन चार्ज देना होगा। घरों से मलबा उठाने के लिए लोगों को यूजर चार्ज नगर निगम लेगा और फिर उसे कंपनी को दिया जाएगा। हालांकि जनता से यूजर चार्ज लेने पर फैसला होना अभी बाकी है।
मलबे से यह बनेगा
ईंट, कंक्रीट, स्लैब, अन्य निर्माण सामग्री

थ्री-आर कंसेप्ट
रि-यूज, रि-साइकिल, रि-ड्यूज
(मलबा संकलन से लेकर निस्तारण तक की कार्य योजना)

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