scriptConsumer Court का फैसला : पार्किंग के सात रुपए वसूले थे अवैध, अब निगम और ठेकेदार भुगतेंगे 8-8 हजार | Consumer Court's decision: Seven rupees extra charged for parking | Patrika News

Consumer Court का फैसला : पार्किंग के सात रुपए वसूले थे अवैध, अब निगम और ठेकेदार भुगतेंगे 8-8 हजार

locationजयपुरPublished: May 17, 2022 02:53:18 pm

Submitted by:

Swatantra Jain

पार्किंग को लेकर ठेकेदारों से आम आदमी के विवाद अब आम हो गए हैं। शहरों में पार्किंग की जिस तरह से किल्लत है, उसके चलते प्राय: ये देखा जाता है कि ठेकेदार मनमर्जी से अपनी पार्किंग की दरें और अधिकार क्षेत्र तय करते रहते हैं। देखने में आता है कि ठेकेदारों के इस बर्ताव पर अधिकारी प्राय: चुप्पी साधे रहते हैं। अब उपभोक्ता अदालत ने ऐसे ही एक मामले में सख्त फैसला देकर नजीर स्थापित की है।

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जयपुर। नगर निगम की पार्किंग में वाहन खड़ा करने पर ज्यादा शुल्क वसूलने पर जिला उपभोक्ता आयोग ने ठेकेदार के साथ निगम को भी जिम्मेदार माना है। आयोग ने ठेकेदार को वसूली गई राशि के साथ आठ हजार रुपए हर्जाना देने के भी आदेश दिए हैं। हवामहल जोन, पश्चिम के उपायुक्त को भी आठ हजार रुपए उपभोक्ता को अदा करने होंगे। आयोग ने अपने फैसले में लिखा कि ऐसा लगता है कि निगम का पार्किंग ठेके की दरें नियमानुसार वसूल करने पर कोई नियंत्रण नहीं रहा है।
रायसर प्लाजा पार्किंग से जुड़ा है मामला

लक्ष्मीनारायणपुरी, रामगंज निवासी रामजीलाल सोनी ने 9 जून, 2016 को आयोग में परिवाद दायर किया। इसमें बताया गया कि वह 28 मई, 2016 को शाम 6 बजे रायसर प्लाजा मोबाइल सही करवाने गए थे। पार्किंग में वाहन खड़ा कर रसीद ली।
3 के बजाय उपभोक्ता से वसूले पार्किंग के 10 रुपए

करीब आधा घंटे बाद वापस आकर वाहन निकालने लगे तो ठेकेदार ने दस रुपए मांगे। जबकि, वहां पर पार्किंग दर तीन रुपए थी। जब विरोध किया तो उसको धमकाया और दुर्व्यवहार किया। टिकट पर 3 घंटे के 3 रुपए और 12 घंटे के बाद 10 रुपए लिए जाने थे। लेकिन दर सूची के बोर्ड पर 3 घंटे से 12 घंटे तक की दर को काली स्याही से मिटा रखा था। आयोग के नोटिस पर ठेकेदार ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन निगम की ओर से कहा गया कि पार्किंग स्थल पर शुल्क लेने के संबंध में बोर्ड लगा हुआ है।
दो माह में राशि नहीं देेने पर नौ फीसदी ब्याज भी होगा देय

दोनों पक्ष को सुनने के बाद आयोग के अध्यक्ष केदारलाल गुप्ता और सदस्य सीमा शर्मा ने माना कि ठेकेदार ने तय शुल्क से ज्यादा पार्किंग शुल्क वसूला है। इसके लिए निगम भी समान रूप से दोषी है। ऐसे में ठेकेदार अधिक वसूली गई राशि, परिवाद व्यय व मानसिक संताप के तौर पर कुल आठ हजार रुपए दो माह में परिवादी को दे। इसी के साथ निगम भी आठ हजार रुपए दो माह में परिवादी को अदा करे। दो माह में राशि नहीं देेने पर नौ फीसदी ब्याज भी परिवादी को देना होगा।
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