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कोरोना: ईरान से जोधपुर लाए गए 275 भारतीय

locationजयपुरPublished: Mar 30, 2020 12:59:30 am

– जोधपुर मिलिट्री स्टेशन में अब 552 लोग भर्ती

कोरोना: ईरान से जोधपुर लाए गए 275 भारतीय

कोरोना: ईरान से जोधपुर लाए गए 275 भारतीय

जोधपुर. ईरान से वाया दिल्ली होते हुए रविवार को 275 भारतीय जोधपुर लाए गए। एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के बाद इन्हें जोधपुर मिलिट्री स्टेशन स्थित आर्मी के वेलनेस सेंटर में क्वारेंटाइन के लिए ले जाया गया। इन्हें यहां 14 दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाएगा। चार दिन पहले भी 277 भारतीय यहां लाए गए थे। कुल मिलाकर अब यहां 552 भारतीयों को क्वारेंटाइन फैसिलिटी दी जा रही है। जोधपुर मिलिट्री स्टेशन में करीब एक हजार बेड की व्यवस्था की गई है। ईरान से महान एयरवेज के जरिए 275 भारतीय बीती रात दिल्ली एयरपोर्ट उतरे। जहां से निजी एयरलाइंस कम्पनी इंडिगो और स्पाइस जेट के दो विमानों के जरिए रविवार सुबह सात बजे जोधपुर पहुंचे। इनमें 133 महिलाएं, 142 पुरुष, चार बच्चे और दो नवजात शिशु शामिल है। सेना की कोणार्क कोर के अधीन आने वाले वेलनेस सेंटर में यात्रियों के खाने-पीने और मनोरंजन की भी उत्तम व्यवस्था की गई है। सभी के लिए व्यक्तिगत बेड, पीने का पानी और अन्य संसाधन है। बच्चों के लिए खेलने के खिलौने हैं। युवाओं के लिए इनडोर व आउटडोर की व्यवस्था की गई है।
पौलेंड में फंस गए भारतीय छात्र, अब घर लौटना चाहते हैं, लेकिन रास्ते बंद

जोधपुर. अपने घरों में कैद हैं, सब्जियां और जरूरत का सामान मिल नहीं रहा। यहां की सरकार भी पहले स्थानीय लोगों की मदद कर रही है। कोरोना वायरस संक्रमण अब यहां धीरे-धीरे काफी फैल रहा है। यह बात जोधपुर निवासी और हाल पौलेंड में रहकर इलेक्टोनिक्स एंड कम्प्यूटर इंजीयनियरिंग की पढ़ाई करने वाले हार्दिक शर्मा ने पत्रिका के साथ साझा की। भारतीय मूल के सैकड़ों लोग पौलेंड में फंसे हुए हैं। 11 मार्च को जब वहां हालात बिगडऩे लगे को कई लोग अपने देश लौट आए, लेकिन कई फंस गए। व्रेकलॉ यूनिवर्सिटी पौलेंड में पढऩे वाले हार्दिक ने बताया कि उनके कई दोस्त हैं जो राजस्थान के उदयपुर, गुजरात और देश के अलग-अलग कोने से हैं। घरों में बंद हैं, सामान मिल नहीं रहा। सब घर लौटना चाहते हैं, लेकिन सभी रास्ते बंद हैं। भारतीय दूतावास से सम्पर्क किया तो उन्होंने मदद का आश्वासन दिया, मगर अब तक मदद नहीं पहुंची। अब वहां संंक्रमण का खतरा काफी बढ़ रहा है, इसलिए भारतीय वंश के लोगों का डर भी बढ़ रहा है। हार्दिक जोधपुर के पावटा सी रोड के रहने वाले हैं व उनके पिता रोहित कुमार शर्मा शिक्षा विभाग में कार्यरत है, वह सितम्बर 2018 से वहां है।
एक तो भाषा अलग व दूसरा अस्पताल में सहायता भी नहीं

वहां के स्थानीय बाजार व अस्पतालों में अंग्रेजी समझने वाले भी कम है। Óयादार पोलिश भाषा बोलते हैं जो प्रवासी विद्यार्थियों के समझ से बाहर है। हार्दिक ने बताया कि कुछ दिन पहले उसके एक भारतवंशी दोस्त का एक्सीडेंट हो गया। इलाज करवाने अस्पताल गए तो वहां कहा गया कि पहले उनके देश के लोगों का इलाज करेंगे, बाद में उनका नम्बर आएगा।

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