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कोविड काल मे अपने गांव लौटी हजारों प्रवासी महिलाएं अब तक कर रही रोजगार का इंतजार, नियोक्ताओं ने कह दिया..या तो नौकरी भूल जाएं या इंतजार करते रहो

locationजयपुरPublished: Sep 04, 2020 12:48:10 pm

Submitted by:

Vikas Jain

 
राजस्थान पत्रिका संवाददाता ने प्रवासियों की सर्वाधिक आवक वाले जिलों की महिलाओं से बात कर जाने हालात
प्रदेश में 20 लाख प्रवासी अपने काम धंधे छोड़कर लौटे थे अपने गांवों में, इन परिवारों की हजारों महिलाओं पर अब तक मंडराया हुआ रोजगार का संकट

कोविड काल मे अपने गांव लौटी हजारों प्रवासी महिलाएं अब तक कर रही रोजगार का इंतजार, नियोक्ताओं ने कह दिया..या तो नौकरी भूल जाएं या इंतजार करते रहो

कोविड काल मे अपने गांव लौटी हजारों प्रवासी महिलाएं अब तक कर रही रोजगार का इंतजार, नियोक्ताओं ने कह दिया..या तो नौकरी भूल जाएं या इंतजार करते रहो

वंचित वर्ग की हजारों महिलाओं का रोजगार छिना, अब परिवारों की मासिक आय रह गई आधी

विकास जैन

जयपुर। प्रदेश में कोविड प्रकोप के बाद 25 मार्च से लॉकडाउन और उस बीच प्रवासी मजदूर परिवारों की अपने कार्यस्थल से मूल निवास की ओर पलायन ने वंचित वर्ग के हजारों परिवारों की आय को आधा कर दिया है। कोरोना अनलॉक के बाद प्रदेश में रोजगार व काम धंधे शुरू तो हुए, लेकिन अभी भी बेरोजगारी और रोजगार विहीन लोग बड़ी संख्या में हैं, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी हैं। ये ऐसी महिलाएं हैं, जो कार्य स्थल शहरों में अपने पति और परिवार के साथ रहती थीं, लेकिन अब अपने मूल गांव लॉट जाने के बाद ये बेरोजगार हो गई हैं। कि प्रदेश में कोविड काल के दौरान करीब 20 लाख प्रवासियों की आवक अपने घरों के लिए हो चुकी है। जिनमें से करीब 60 प्रतिशत वंचित वर्ग के ही माने जा रहे हैं, जो दूसरे राज्यों में रहकर मजदूरी करते थे।
राजस्थान पत्रिका संवाददाता ने प्रदेश के सर्वाधिक प्रवासी आवक वाले जिलों में ऐसी प्रवासी महिलाओं से बातचीत की तो उनका दर्द फूट पड़ा। उनका कहना था कि कोविड ने उन्हें रोजगार विहीन कर दिया, अब उनके पास इंतजार और सूख चुके आंसुओं के लिए अलावा कुछ नहीं है। उन्हें अपने नियोक्ताओं से वापस काम के लिए या तो जवाब नहीं मिल रहा है, वहीं कुछ को तो सापफ जवाब मिल गया है कि या तो इंतजार करें या नौकरी भूल जाएं…।
सरकार ने की थी तैयार, लेकिन इनका इंतजार कब तक

पिछले माह सरकार ने दूूसरे राज्यों से आए मजदूरों व अन्य श्रमिकों व कामकाजी लोगों के लिए राजस्थान में काम धंधे उपलब्ध कराने की योजना पर काम किया था, इसके लिए राज कौशल श्रमिक रोजगार एक्सचेंज शुरू करने की बात कही गई थी। जिसमें करीब 11 लाख से अधिक फैक्ट्रियां, कारखाने, उद्योग इकाइयां पंजीकृत बताई गई थी। लेकिन अभी तक भी जमीनी स्तर पर ऐसे प्रभावित परिवारों को इसका फायदा मिलना शुरू नहीं हुआ है। इनका कहना है कि हो सकता है, सरकार इस योजना पर काम कर रही हो, लेकिन उनका तो अभी मासिक तौर पर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।
इस तरह के काम करती थी ये महिलाएं अपने कार्य स्थल पर

प्रदेश में कोविड काल के दौरान बेरोजगारी का सामना कर रही अधिकांश महिलाएं अपने कार्यस्थल शहरों में निर्माण साइटों पर मजदूरी, घरोें में कामकाज, निजी नौकरी करती थी। लेकिन अब गांवों मे लौटने के बाद इनके पास ये विकल्प खत्म हो गए हैं। प्रदेश में बड़ी संख्या में महाराष्ट्र से प्रवासियों की आवक हुई, जहां प्रवासी और उनके परिवार की महिलाएं छोटा मोटा काम करती थी। इसी तरह सूरत से आई प्रवासी महिलाएं कारखानों में मजदूरी करती थी। इनके अलावा प्रवासी परिवार पूर्वोत्तर के राज्यों, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू और आंध्रप्रदेश से भी प्रवासी आए हैं।
प्रदेश में इन 10 जिलों में हुई प्रवासियों की सर्वाधिक आवक

पाली 957
जयपुर 750
जालोर 711
जोधपुर 790
डूंगरपुर 509
चूरू 500
झुंझुनू 484
नागौर 482
भीलवाड़ा 381
बाड़़मेर 367


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हम जहां काम करते थे, वहां से हमें घर भेज दिया गया। हमारा रोजगार बंद हो गया। जिसके कारण अभी हमारी गृहस्थी की आमदनी का बहुत नुकसान हुआ है। सबसे अधिक प्रभाव हमारे बच्चो की पढ़ाई पर पड़ा है। क्योंकि वे हमारे कार्य स्थल पर ही स्थित स्कूलों में जाते थे। घर चलाने के नाम पर हमें सरकार से बस दो बार 20 किलो गेंहू मिला है।
संगीता, खेरवाड़ा, डूंगरपुर

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पहले हम ठेकेदार के यहां मजदूरी करते थे। कोविड बंद के कारण हम घर आ गए हैं। अभी तक ठेकेदार का फोन या जवाब नहीं आया है। इससे हमारा रोजगार छिन गया और आमदनी ठप सी हो गई है।
रमीला, खेरवाड़ा


मैं लॉकडाउन से पहले अहमदाबाद में एक हॉस्सिपटल में नौकरी करती थी। बंद के कारण हमें घर भेज दिया गया। मैं जो नौकरी करती थी, वह भी छूट गई। मदद के नाम पर सरकार की ओर से अब तक 10 किलो गेंहू एक माह के लिए।
रूकमणी, भाटड़ा

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एक्सपर्ट व्यू

डूंगरपुर सहित प्रवासियों की सर्वाधिक आवक वाले क्षेत्रों की महिलाओं के लिए अब अपने रोजगार पर लौटना मुश्किल हो रहा है। कई को नियोक्ताओं से अब जवाब मिल चुका है कि उनके लिए अब आगे की नौकरी मुश्किल है। ये ऐसी महिलाएं हैं जो अपने परिवार के लिए करीब आधी आमदनी अपने रोजगार के जरिये उपलब्ध करवा रही थी। अभी तक भी इनका पुर्नवास शुरू नहीं हआ है।
अंजू कंवर, सामाजिक कार्यकर्ता, डूंगरपुर क्षेत्र

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महिलाओं को अनलॉक के बावजूद रोजगार वापस प्राप्त होने में आ रही समस्या को हम दिखवाएंगे और इस पर अधिक फोकस हमारे विभाग और सरकार के माध्यम से करेंगे।
सरकार का फोकस सभी प्रवासी लोगों के पुर्नवास व रोजगार का है, हर योजना में महिलाओं के लिए विशेष प्राथमिकता है।

ममता भूपेश, महिला एवं बाल विकास मंत्री, राजस्थान सरकार

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