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अबॉर्शन तक की दवा बंटवा रहे किसी के भी हाथ

locationजयपुरPublished: Jan 19, 2022 12:19:38 pm

Submitted by:

Vikas Jain

सब सेंटर्स पर निशुल्क दवा वितरण बन रहा मजाकआरएमएससीएल की सब सेंटर्स दवा सूची में कई दवाइयां ऐसी, जो शहरों में नहीं बेच सकता कोई भी आसानी से, लेकिन सरकार के निचले केन्द्रों पर छूट का उठा रहे फायदा, जिन कार्मिकों से बंटवा रहे दवाएं, उनका मूल कार्य भी हो रहा प्रभावित
 

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विकास जैन

जयपुर. प्रदेश में नि:शुल्क दवा योजना शुरू हुए दस साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन सबसे निचले स्तर सब सेंटर्स पर दवा वितरण की गुणवत्ता से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने आंखें ही बंद कर ली हैं। प्रदेश के इन 13 हजार सेंटर्स पर शेड्यूल में मिली छूट के आधार पर फार्मासिस्ट के अलावा अन्य किसी भी संवर्ग से दवा वितरित करवाई जा रही है। हैरत की बात यह है कि इनमें अबॉर्शन तक की दवा शामिल है, जिन पर सरकार की सख्ती है और यह विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञ की निगरानी में ही दी जानी चाहिए। लेकिन इन सेंटर्स पर ऐसी दवा भी सीधे किसी के भी हाथ बंटवाने के लिए भेजी जा रही है। जबकि गर्भ निरोधक और अबॉर्शन पर तो पीसीपीएनडीटी के तहत भी सख्ती की जाती है।
प्रदेश में नि:शुल्क दवा योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 2011 को हुई थी। लेकिन वर्ष 2013 के बाद पिछले आठ सालों से इसके लिए फार्मासिस्टों की भर्ती ही नहीं की गई है। कुल 18 हजार सेंटर्स में से 13 हजार सब सेंटर्स पर फार्मासिस्ट लगाए ही नहीं गए हैं। शेष 5 हजार में से भी 2700 ही नियमित हैं। अभी करीब 500 संविदा फार्मासिस्ट भी लगे हुए हैं। 24 घंटे संचालित होने वाले अस्पतालों के कई इमरजेंसी काउंटरों पर तो एक दिन में तीन फार्मासिस्ट चाहिए। ऐसे में करीब 7 हजार फार्मासिस्टों की आवश्यकता वाले 5 हजार केन्द्रों पर करीब 4 हजार की कमी इस समय भी चल रही है। सरकार जहां फार्मासिस्टों की भर्ती नहीं कर रही, वहीं जिन कार्मिकों से ये दवाइयां बंटवाई जा रही है, उनका मूल कार्य भी प्रभावित हो रहा है। जबकि इन सेंटर्स पर पहले से ही स्टाफ काफी सीमित है।
एक्ट की आड़ में सहायक स्टाफ से भी वितरण

ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत शेड्यूल के नियम में सरकारी दवा केन्द्रों को शिथिलता प्रदान की गई है। इसके तहत एच और एच-1 की दवाइयां भी इनसे बंटवाई जा सकती है। लेकिन इसमें भी कार्मिकों के स्किल को ध्यान में रखा जाना चाहिए। कई जगह पर तो सहायक स्टाफ से भी यह दवाइयां बंटवाई जा रही हैं। जबकि सब सेंटर्स ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हैं, जहां डॉक्टर भी नहीं होते। यहां केन्द्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में दी जाने वाली नियमित दवाइयों के वितरण सहित अन्य सामान्य नियमित चलने वाली दवाओं का वितरण किसी से भी करवाया जा सकता है।
बाजार में सख्ती, सरकार में सस्ती

निजी बाजार में शेड्यूल एच और एच-1 की दवाइयों का वितरण फार्मासिस्टों के जरिये ही किए जाने का नियम है, ऐसा नहीं करने पर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। लेकिन इसी नियम में सरकार को छूट दी हुई है, उसमें भी सिर्फ शिथिलता दी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार शिथिलता का मतलब यह नहीं है कि वहां नियमों का पालन ही नहीं किया जाए। सरकार की कोशिश नियम पालन की होनी चाहिए, जिससे किसी की जान से खिलवाड़ न हो। लेकिन बाजार में नियमों के लिए सख्ती दिखाने वाली सरकार खुद यहां सुस्त नजर आ रही है।
सब सेंटर्स दवा सूची में कई दवाइयां अन्य शेड्यूल की

राजस्थान पत्रिका ने राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (आरएमएससीएल) की सब सेंटर्स दवा सूची की पड़ताल की तो उसमें 50 तरह की दवाइयों, विटामिन्स और सूचर्स में से करीब 50 प्रतिशत शेड्यूल एच से संबंधित मिली। ये ऐसी दवाइयां हैं, जिन्हें निजी बाजार में फार्मासिस्टों के जरिये ही बेचे जाने का नियम है। लेकिन सरकार ये दवाइयां खुद किसी के भी हाथ बंटवा रही है।

सरकारी के लिए नियमों में शिथिलता

सरकारी केन्द्रों के लिए नियमों में कुछ शिथिलता है। लेकिन सरकार स्किल्ड फार्मासिस्टों के जरिये ही ऐसी दवाइयां वितरित करवाने के लिए प्रतिबद्ध है।
– अजय फाटक, औषधि नियंत्रक, राजस्थान

जल्द भर्ती की कोशिश
फार्मासिस्टों की भर्ती का मामला मेरे संज्ञान में आ चुका है। संविदा पर चल रहे फार्मासिस्ट तो सरकार की संविदा नीति के बाद स्थायी हो ही जाएंगे, शेष के लिए भी जल्दी भर्ती की कोशिश कर रहे हैं। पहले वाली भर्तियां निरस्त हो जाने से कुछ देरी हुई है।
– परसादीलाल मीणा, चिकित्सा मंत्री

सब सेंटर्स पर भी कई ऐसी दवाइयां हैं, जिन्हें तर्कसंगत तौर पर फार्मासिस्ट से ही बंटवाया जाना चाहिए। सब सेंटर्स ही नहीं, बल्कि बड़े अस्पतालों में भी करीब 4 हजार पद रिक्त हैं, इस पर सरकार ध्यान ही नहीं दे रही है, जबकि यह मरीजों की जिंदगी से जुड़ा मामला है, बेरोजगार फार्मासिस्ट तो परेशान हो ही रहे हैं।
प्रवीण सेन, फार्मा यूथवेलफेयर संस्थान
सरकार की फार्मासिस्ट भर्ती का हाल यह

– इस योजना के लिए वर्ष 2011 व 2013 के बाद 8 वर्षों से फार्मासिस्ट भर्ती नहीं हुई

– कुल 4105 रिक्त पद इस समय
– 3 वर्षों में 5 बार भर्ती की परीक्षा तिथि जारी करने के बाद भी भर्ती निरस्त
– 11 महीने बाद भी निरस्त हुई फ़ार्मासिस्ट भर्ती का अभी तक विज्ञापन नही आया

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