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तेल की खोज में आड़े आया कोरोना

locationजयपुरPublished: Jul 10, 2021 12:23:48 am

Submitted by:

vinod

रेगिस्तान में तेल की खोज (oil exploration) के काज को 2015 के बाद मुश्किल से 2016-17 में इजाजत तो मिली, लेकिन लगातार दो साल का कोरोनाकाल (corona period) कोढ़ में खाज साबित हुआ है। बाड़मेर-सांचौर बेसिन (Barmer-Sanchore Basin) के 10 नए ब्लॉक में अन्वेषण नहीं हो पा रहा है।

तेल की खोज में आड़े आया कोरोना

तेल की खोज में आड़े आया कोरोना

बाड़मेर। रेगिस्तान में तेल की खोज (oil exploration) के काज को 2015 के बाद मुश्किल से 2016-17 में इजाजत तो मिली, लेकिन लगातार दो साल का कोरोनाकाल (corona period) कोढ़ में खाज साबित हुआ है। बाड़मेर-सांचौर बेसिन (Barmer-Sanchore Basin) के 10 नए ब्लॉक में अन्वेषण नहीं हो पा रहा है।कंपनियों ने फिक्रमंद होते हुए अन्वेषण के समय को बढ़ाने की इजाजत मांगी है। करीब 10 हजार करोड़ इस प्रोजेक्ट का सीधा लाभ प्रदेश के मेगा प्रोजेक्ट रिफाइनरी को होना था।
रेगिस्तान में तेल खोज का कार्य 2015 तक जारी था, लेकिन इसके बाद आई आर्थिक मंदी और तेलक्षेत्र में दाम गिरने के बाद नई खोज की इजाजत नहीं मिल रही थी। इस दौरान 2018 तक बाड़मेर-सांचौर बेसिन में 38 कुएं खुदने से प्रतिदिन 1.75 लाख बैरल तेल का उत्पादन होने लगा तो मौजूदा 3111 वर्ग किमी क्षेत्र को बढ़ाकर करीब 6600 वर्गकिमी तक अन्वेषण करने की अनुमति मांगी गई। बड़ी जद्दोजहद के बाद वर्ष 2017-18 में केन्द्र सरकार ने राज्य में 11 और बाड़मेर-जैसलमेर इलाके में 10 ब्लॉक की अनुमति दी।
10 हजार करोड़ की योजना बनी
इस नए क्षेत्र में करीब 500 नए कुएं खोदकर यहां अन्वेषण के कार्य को आगे बढ़ाना था। बाड़मेर, धोरीमन्ना, शिव, चौहटन, सांचौर तक का विस्तार था। इसके लिए करीब 40 रिग (तेल अन्वेषण मशीन और मैन पॉवर) लगाकर कार्य करने की दरकार थी।
काम शुरू हुआ और कोरोना
कार्य की अनुमति मिलते ही उत्साहित कंपनियों ने 3 रिग के साथ कार्य प्रारंभ किया और 2019 उत्तराद्र्ध में करीब 17 रिग आने की योजना बनी लेकिन इसी दौरान कोविड की पहली लहर की वजह से विदेशों से आने वाले मैन और मशीन रुक गए और यह कार्य मंथर हो गया। पहली लहर से उबरे ही नहीं थे कि दूसरी लहर आई तो फिर यह कार्य ठप्प हो गया।
अब परिवहन बड़ी मुश्किल
तेल अन्वेषण के लिए जर्मनी, अमेरिका, जापान, चीन और अन्यत्र से मैन व मशीन पॉवर की दरकार है,जो विशेषज्ञ है। इसके अलावा रिग का प्रतिदिन का व्यय भी करीब दो करोड़ है, ऐसे में पूर्ण साजो सामान नहीं आने पर कार्य होना मुश्किल है। लिहाजा यह कार्य अभी मंथर पड़ा है।
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