जयपुर

CORONA: वैक्सीनेशन का एक साल, ओमीक्रोन के सामने मिली ढाल

वैक्सीनेशन अभियान के एक साल पूरे होने पर देश एक बार फिर कोरोना तीसरी लहर से घिरा हुआ है। लेकिन अब तय ये साफ हो चुका है कि ओमीक्रोन के चलते आई कोरोना की तीसरी वेब काफी कम घातक दिख रही है।

जयपुरJan 16, 2022 / 02:49 pm

Anil Chauchan

Corona

CORONA: जयपुर . वैक्सीनेशन अभियान के एक साल पूरे होने पर देश एक बार फिर कोरोना तीसरी लहर से घिरा हुआ है। लेकिन अब तय ये साफ हो चुका है कि ओमीक्रोन के चलते आई कोरोना की तीसरी वेब काफी कम घातक दिख रही है।
सेकेंड वेव में एक्टिव मरीजों का 10 प्रतिशत तक हॉस्पिटेलाइजेशन रेट पहुंच गया था, लेकिन तीसरी वेव में 2 से तीन प्रतिशत तक ही हॉस्पिटेलाइजेशन रेट है। जयपुर में एसएमएस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी के अनुसार, इसमें भी जो मरीज गंभीर हो रहे हैं उनका प्रतिशत 0.5 प्रतिशत है। अधिकांश मरीज घर पर ही ठीक हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत का सफल वैक्सीनेशन अभियान।

तीसरी वेव में डेथ रेट भी काफी कम है। जयपुर में अब तक सिर्फ एक मरीज की मौत को ओमीक्रोन की वजह से रिपोर्ट किया गया है। नवंबर माह में पूरे राजस्थान में कोविड के वजह से करीब 30 मौतें ही हुई हैं। निजी अस्पताल और सरकारी दोनों ही अस्पतालों में मरीजों की संख्या में कोई चिंताजनक बढ़ोतरी नहीं हो रही है। सोनी अस्पताल के निदेशक नमित सोनी के अनुसार उनके अस्पताल में पिछले एक सप्ताह से कोविड मरीजों की भर्ती संख्या 5 से छह ही बनी हुई है। कोई मरीज गंभीर नहीं है। ऑक्सीजन की जरूरत बहुत कम पड़ रही है। नए मरीज आ रहे हैं तो पुराने मरीज डिस्चार्ज भी हो रहे हैं। जो हालात हैं उससे अब ऐसी आशंका कतई नहीं लगती कि जयपुर में अब कोविड के मरीजों को अस्पताल में बेड ही कम पड़ जाएँ या फिर ऑक्सीजन का संकट खड़ा हो जाए।
राजस्थान के कोविड टॉस्क फोर्स के सदस्य डॉक्टर सुधीर भंडारी के अनुसार हमारी वैक्सीनेशन अभियान बेहद कारगर रहा है। जो भी मरीज गंभीर हो रहे हैं, वो या तो अनवैक्सीनेटिड हैं या फिर जिनका पहले ही कोई दूसरी बीमारी के कारण बेकाबू स्वास्थ्य स्तर बना हुआ है। अधिकांश मामलों में गंभीर होने वाले मरीजों को वैक्सीन भी नहीं लगी है औऱ कोमोर्बिड कंडीशन भी हैं। इसलिए, ये जानते हुए भी कि ओमीक्रोन से मरीजों में घातक लक्षण पैदा नहीं हो रहे, डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि हमें पूरी सावधानी बरतने की जरूरत है। वजह साफ है कि बुजुर्गों और कोमोर्बिड कंडीशन के लोगों में कोरोना के गंभीर लक्षण पैदा हो सकते हैं।
राजस्थान में कोवैक्सीन के प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर डॉ. मनीष जैन का भी कहना है कि आज जब रोजाना ओमीक्रोन के करीब ढाई लाख मरीज आ रहे हैं, तब भारत के किसी हिस्से में हालत चिंताजनक नहीं हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह हमारी कारगर वैक्सीन और सफल वैक्सीनेशन अभियान ही है। अगर वैक्सीन नहीं होती तो ओमीक्रोन उतना माइल्ड नहीं रहता जितना दिख रहा है।
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